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उइगर मुस्लिमों पर रिपोर्टिंग करने वाले बीबीसी संवाददाता का उत्पीड़न, सुरक्षा कारणों से छोड़ा चीन

उइगर मुस्लिमों पर रिपोर्टिंग करने वाले बीबीसी के एक पत्रकार का चीन में इस कदर उत्पीड़न किया गया कि उनको परिवार समेत देश छोड़ना पड़ा है। बीबीसी ने बुधवार को बताया कि जॉन सडवर्थ सुरक्षा कारणों से वह चीन से ताइवान पहुंच गए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 31 Mar 2021 06:28 PM (IST)Updated: Wed, 31 Mar 2021 06:28 PM (IST)
उइगर मुस्लिमों पर रिपोर्टिंग करने वाले बीबीसी संवाददाता का उत्पीड़न, सुरक्षा कारणों से छोड़ा चीन
बीबीसी के एक पत्रकार का चीन में इस कदर उत्पीड़न किया गया कि उनको परिवार समेत देश छोड़ना पड़ा है।

बीजिंग, रायटर। उइगर मुस्लिमों पर रिपोर्टिंग करने वाले बीबीसी के एक पत्रकार (BBC journalist) का चीनी अधिकारियों ने इस कदर उत्पीड़न किया कि उन्हें सुरक्षा कारणों से परिवार सहित देश छोड़ना पड़ा। बीबीसी ने बुधवार को बताया कि जॉन सडवर्थ चीन में उनके पत्रकार थे। सुरक्षा कारणों से वह चीन से ताइवान पहुंच गए हैं। फॉरेन कोरस्पोंडेंट क्लब ऑफ चाइना ने कहा है कि जॉन की सुरक्षा को खतरा था। उनके साथ उनकी पत्नी वोने मुरे भी हैं, जो आइरिश ब्रॉडकॉस्टर आरटीइ की कोरस्पोंडेंट हैं।

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जॉन ने चीन के अधिकारियों का वह सच उजागर कर दिया था, जो दुनिया से देश छिपाना चाह रहा था। जॉन को यहां पर अब धमकियां दी जा रही थीं। उनको चीन से केवल पहने हुए कपड़ों में ही देश से बाहर जाना पड़ा। जॉन नौ साल तक चीन में रहे। इस दौरान उन्होंने उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार की कई रिपोर्ट दीं। उन्हें शिनजियांग के यातना शिविरों की रिपोर्टिग के लिए पिछले साल जॉर्ज पोल्क अवार्ड भी दिया गया था।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि हमने कभी जॉन को नहीं धमकाया है। उन्होंने क्यों देश छोड़ा, इसका कारण उन्हें नहीं मालूम है। हाल ही में अमेरिका ने शिनजियांग में उइगर मुस्लिम और अन्य जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ चीनी कार्रवाई को 'नरसंहार' घोषित कर दिया था। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ अपराध हुए हैं।

बीते दिनों दुनियाभर में रहने वाले उइगरों ने चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले मुस्लिमों पर सरकारी अत्याचार के विरोध में अमेरिका से गुहार लगाई थी। निर्वासित उइगरों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन को पत्र लिखकर शिनजियांग के यातना कैंपों को बंद कराने की गुजारिश की थी। उइगरों के मामले में पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन चीन को चेतावनी दे चुके हैं।


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