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आस्ट्रेलिया ने हांगकांग के साथ खत्म की प्रत्यर्पण संधि, भड़का चीन, कहा- बंद करो दखल

हांगकांग में चीन के विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के विरोध में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र के साथ किए गए प्रत्यर्पण संधि को खत्म करने का एलान किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 06:14 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:14 PM (IST)
आस्ट्रेलिया ने हांगकांग के साथ खत्म की प्रत्यर्पण संधि, भड़का चीन, कहा- बंद करो दखल
आस्ट्रेलिया ने हांगकांग के साथ खत्म की प्रत्यर्पण संधि, भड़का चीन, कहा- बंद करो दखल

मेलबर्न, एजेंसियां। हांगकांग में चीन के विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के विरोध में ऑस्ट्रेलिया ने कदम उठाए हैं। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मौरिसन ने चीन नियंत्रित इस क्षेत्र के साथ किए गए प्रत्यर्पण संधि को खत्म करने का एलान किया है। हालांकि यह संधि अभी सिर्फ निलंबित की गई है। इसके साथ ही मौरिसन ने हांगकांग के कारोबारों को आकर्षित करने के लिए कई उपायों का भी एलान किया है। इस कदम से भड़के चीन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग मामले में दखल देना बंद करे।

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ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने गुरुवार को कहा कि चीन की ओर से हांगकांग पर थोपा गया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून दुनिया भर की कई सरकारों के लिए परिस्थितियों में बुनियादी बदलाव को दर्शाता है। उन्होंने कैनबरा में कहा, 'हांगकांग के साथ प्रत्यर्पण संधि को स्थगित करने का हमारा निर्णय नए सुरक्षा कानून के चलते इस शहर के संबंध में परिस्थितियों के मूलभूत परिवर्तन की स्वीकारोक्ति को दर्शाता है। हमारे विचार में नया कानून 'एक देश दो व्यवस्था' की रूपरेखा और हांगकांग के अपने बुनियादी कानून व चीन-ब्रिटेन के संयुक्त घोषणापत्र में स्वायत्ता की गारंटी की अनदेखी करता है।'

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार हांगकांग के कारोबारों को यहां स्थापित किए जाने का स्वागत करेगी। उन्होंने हांगकांग के दस हजार छात्रों और अस्थायी कुशल कामगारों के लिए वीजा की पेशकश भी की, ताकि वे नया जीवन शुरू कर सकें। इस पर ऑस्ट्रेलिया में चीनी दूतावास ने एक बयान में कहा, 'हम ऑस्ट्रेलियाई पक्ष से आग्रह करते हैं कि वे हांगकांग और चीन के आंतरिक मामलों में किसी भी तरह का दखल देना तत्काल बंद कर दें।' बता दें कि चीन ने गत माह हांगकांग में यह विवादास्पद कानून लागू किया था। इसकी अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों ने तीखी आलोचना की थी।


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