चीन के दबाव में मुश्किल है हांगकांग में रहने वाले लोगों की राह, लेकिन इसको छोड़ना भी मुश्किल
हांगकांग भले ही अमीरों का शहर है लेकिन यहां का एक वर्ग आज भी गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करता है। चीन की दमनकारी नीतियों के बाद भी वह आर्थिक संकट की वजह से यहां से जा नहीं सकता।
हांगकांग (एपी)। हांगकांग के मुद्दे पर चीन बुरी तरह से परेशान और बौखलाया हुआ है। दुनिया के कई बड़े देश इस मुद्दे पर उसको आइना दिखाने में लगे हैं। वहीं ताईवान, आस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन ने चीन के अडि़यल रुख को देखते हुए हांगकांग के नागरिकों को अपने यहां की नागरिकता देने या उन्हें अपने यहां पर आने का निमंत्रण दे रखा है। इसने चीन को और अधिक परेशानी में डालने का काम किया है। ताईवान को चीन पहले से ही अपना हिस्सा मानता है। आपको बता दें कि ताईवान चीन से वर्षों पहले अपनी जान बचाकर भागकर आने वालों की शरणस्थली रहा है। आज उसकी पहचान एक देश के रूप में की जाती है। बहरहाल, हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने के बाद अधिकतर देश मानते हैं कि इससे चीन ने वहां के लोगों की आजादी छीनने का काम किया है और अपने पंजों को वहां पर जमाने का काम किया है। चीन द्वारा हांगकांग में इस कानून के लागू होने के यहां के लोग भी मानते हैं कि चीन ज्यादतियां कर रहा है, लेकिन वो ये भी मानते हैं कि वो यहां से जा भी नहीं सकते हैं।
दुनिया में हांगकांग की पहचान एक अमीर शहर की है जहां पर कई करोड़पति रहते हैं। लेकिन इसका एक काला सच ये भी है कि यहां पर रहने वाला हर पांच में से एक परिवार गरीबी रेखा के नीचे गुजर करता है। ऐसे लोगों का जीवनयापन मुश्किल से ही हो पाता है। यहां पर रहने वाले एक फ्रीलांस डिजाइनर लैम और उनके मासिक पारिवारिक आय है लगभग 4,300 डॉलर। लैम के पास बीएनओ पासपोर्ट है। उनका कहना है कि कई बार उन्होंने ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया चले जाने के बारे में भी सोचा लेकिन उनके सामने वित्तीय परेशानी आ खड़ी हुई। उनका कहना है कि वो इसकी वजह हांगकांग को छोड़कर नहीं जा सकती हैं क्योंकि वो वित्तीय तौर पर काफी कमजोर हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें खाने-पीने समेत दूसरी चीजों की परेशानी नहीं है लेकिन इससे अधिक वो कुछ और कर भी नहीं सकती हैं।
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक हांगकांग में रहने वाले कई लोग ऐसे हैं जो या तो खुद चीन के मुख्य भू-भाग से भाग कर आए थे या वो ऐसे माता-पिता के संतान हैं जो चीन से भाग आए थे। लैम भी इन्हीं में से एक हैं। उनके पैरेंट्स 1970 के दशक में चीन में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच खुद को और अपने बच्चों का बेहतर भविष्य बनाने के लिए वहां से भागकर यहां आकर बसे थे। लैम ने बताया कि पिछले वर्ष और इस बार हांगकांग में हुए शांति प्रदर्शनों में वो भी शामिल हुई थीं। वो हांगकांग में रहने वाले उन युवाओं में से एक हैं जो अपने प्रांत की आजादी पर भरोसा करते हुए हमेशा लोगों को और अधिक आजादी दिए जाने की उम्मीद में रही हैं।
गौरतलब है कि 90 के दशक में जब ब्रिटेन ने हांगकांग को बीजिंग के हवाले किया था तब उसको 50 साल तक एक देश, दो प्रणालियां की व्यवस्था बनाए रखने का वचन दिया गया था। इस दौरान हांगकांग को अपना कस्टम्स इलाका और कानूनी व्यवस्था रखने की अनुमति दी गई थी। इस व्यवस्था के तहत हांगकांग के निवासियों को पश्चिमी देशों के जैसे नागरिक अधिकार मिले जो चीन के मुख्य भू-भाग में दुर्लभ हैं। हालांकि यहां की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी चीन की ही थी।
लैम बताती है कि ताइवान ने भी हांगकांग के नागरिकों को कई तरह की छूट देने की बात सार्वजनिक तौर पर कही है, लेकिन वित्तीय परेशानियों की वजह से वो वहां पर भी नहीं जा सकती हैं। जुलाई में ताइवान ने हांगकांग के निवासियों के लिए ताइवान में पढ़ने, काम करने या व्यापार शुरू कर द्वीप पर बसने में मदद करने के लिए एक दफ्तर खोल दिया था। इस दफ्तर को 27 जुलाई तक 1,000 से ज्यादा पूछताछ के आवेदन आए जिनमें से अधिकांश प्रवास से संबंधित थे। इन सबके बावजूद लैम ये भी मानती हैं कि हांगकांग में रहकर लोकतंत्र के हक में बोलना, उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। वो जानती है कि उन्हें ऐसा करने पर एक क्रांतिकारी मानते हुए सजा तक दी जा सकती है। वो कहती हैं कि सोच स्वच्छंद होती है। उनका बेटा सही और गलत के बीच का फर्क जानता है। हम सरकार से पहले खुद ही अपने आप पर पाबंदियां नहीं लगा सकते।
वित्तीय परेशानी से दो-चार होते यहां के लोगों की परेशानी हांगकांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पॉल यिप भी समझते हैं। उनके मुताबिक हांगकांग में कई परिवारियों के लिए जीवन बेहद कठिन है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जिन्होंने कर्ज लिया हुआ है। उनके अनुसार हांगकांग में पश्चिमी देशों जैसी मध्यम वर्गीय जीवन शैली जीने वाले और प्रवास का खर्चा उठा सकने वाले लोगों की आबादी करीब 10 फीसद है। हालांकि उन्होंने कहा कि ये स्पष्ट नहीं है कि मौजूदा परेशानी को देखते हुए कितने लोग हांगकांग छोड़ देने का विचार कर रहे हैं।
ब्रिटेन में मैंस सॉल्यूशंस की मैनेजिंग डायरेक्टर एवगेनी पावलोव का कहना है कि किसी तीन सदस्यीय परिवार के लिए हांगकांग छोड़कर ब्रिटेन में बसने के लिए 13,000 से 19,000 डॉलर के बीच खर्च आएगा। उनकी कंपनी में ब्रिटेन में रहने और इसमें आने वाले खर्च से संबंधित कई तरह की पूछताछ आती है। उनके मुताबिक बीते कुछ समय में ये पूछताछ काफी बढ़ भी गई है। ब्रिटेन के मुताबिक दिसंबर 2019 में हांगकांग में रहने वाले 3,14,779 लोगों के पास बीएनओ पासपोर्ट थे। वर्ष 2015 की तुलना में ये दोगुने थे। हांगकांग में लगभग 7,32,000 प्रवासी हैं। एपी के मुताबिक हांगकांग में एक अपार्टमेंट की कीमत औसतन लगभग 32,000 डॉलर प्रति वर्ग मीटर है और मासिक मध्यम आय 2,348 डॉलर है।