आखिर क्यों भुला दी गई 'टाइटैनिक' पर सवार चीनी यात्रियों की कहानी
टाइटैनिक पर सवार उन छह चीनी नागरिकों की कहानी को पूरी तरह से भुला दिया गया, जो कि टाइटैनिक से जीवित बच निकलन में कामयाब रहे थे।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। टाइटैनिक जहाज के डूबने की घटना को लेकर आज भी कई रहस्य मौजूद हैं। इसको लेकर कई तरह की कहानियां और उसके दावे मौजूद हैं। हालांकि इन सबके बीच टाइटैनिक पर सवार उन छह चीनी नागरिकों की कहानी को पूरी तरह से भुला दिया गया, जो कि टाइटैनिक से जीवित बच निकलने में कामयाब रहे थे। 15 अप्रैल, 1912 के शुरुआती घंटों में एक लाइफबोट ने उत्तरी अटलांटिक महासागर के ठंडे पानी को नेविगेट किया। चालक दल की एक टीम ने अंटलांटिक महासागर के पानी में जीवन की संभावनाओं को तलाश किया। इसके लिए टीम ने अंधेरे, मलबे-भरे सतह को स्कैन किया। हुआ कुछ यूं कि आरएमएस टाइटैनिक जो कि एक राजशाही जहाज था, जिसके न डूबने का दावा किया जा रहा था वह बर्फ की चट्टान से टकराने के बाद गहरे समुद्र में गायब हो हो चुका था।
लाइफबोट के जरिए जान बचाने की कोशिश
टाइटैनिक जहाज के डूबने से पहले सैकडों यात्रियों ने लाइफबोट के जरिए जान बचाने को कोशिश की। लेकिन इसके बावजदू काफी लोग मारे गए। जहाज के साथ उनका पार्थिव शरीर बर्फ के पानी में मलबे के साथ दफन हो गया। पानी में डूब गई लाइफबोट में से केवल एक में से लोगों को खोज निकाला गया। इस खोज में एक चीनी नागरिक को लकड़ी के एक टुकड़े के साथ जिंदा पाया गया।
छह चीनी नागरिकों में से एक
यह चीनी नागरिक उन छह चीनी नागरिकों में से एक था, जो कि टाइटैनिक जहाज पर सवार लोगों में बचा था। टाइटैनिक के इतिहास में यह एक छोटी सी हकीकत दर्ज है, जिससे बहुत कम लोग वाकिफ हैं। ज्यादातर मौकों पर इसका जिक्र नहीं किया गया। कई मौकों पर इस घटना के इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया। वहीं कुछ लोगों ने इस हकीकत को फसाना करार दिया। इसके पीछे शायद हकीकत यह थी कि 20वीं शताब्दी में चीनी लोगों को पश्चिम की ओर से उतनी तवज्जो नहीं दी जाती थी।
नए सिरे से गढ़ी गई चीनी नागरिकों की कहानी
अब, टाइटैनिक से जीवत बचे चीनी नागरिक की कहानी को नए सिरे से गढ़ा गया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे टाइटैनिक के डूबने के बाद उन लोगों ने रात गुजारी और किन मुसीबतों का सामना करके वो अमेरिका के तट पर पहुंचे। इस पूरे मामले को लेकर एक नई डाक्यूमेंट्री तैयार की गई है, जिसका नाम है "द सिक्स"। इस डाक्यूमेंट्री के लेखक जॉन्स और स्टीवन सचाउनकर्ट हैं।
बचने में कामयाब रहे थे चीनी नागरिक
टाइटैनिक से बच निकलने वाले 700 लोगों में वो चीनी नागरिक भी शामिल थे। लेकिन किसी ने उनके दावे पर विश्वास नहीं किया। शंघाई के रहने वाले फिल्म मेकर जान्स ने वाशिंगटन पोस्ट से कहा कि 700 लोगों में से केवल उनके ही दावों को क्यों खारिज कर दिया गया। क्यों उन पर यकीन नहीं किया गया। ऐसा करके क्यों उन्हें इतिहास के पन्नों से पूरी तरह से गायब कर दिया गया।
साउथेप्टन से न्यूयार्क की यात्रा
गौरतलब है कि टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को 2229 यात्रियों को लेकर इंग्लैंड के साउथेप्टन से संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी पहली यात्रा पर निकला था। जहाज को एक सप्ताह बाद न्यूयार्क शहर पहुंचना था। लेकिन इससे पहले ही जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह एक ऐसा जहाज था जिसके कभी न डूबने को लेकर दावा किया जाता था।
बर्फ की चट्टान से टकराया टाइटैनिक
जहाज 14 अप्रैल की रात करीब साढ़े 11 बजे न्यूफाउंडलैंड में एक बर्फ की चट्टान से टकरा गया, जिससे जहाज में पानी भरने लगा। कुछ ही घंटों में जहाज बड़े प्रशांत महासागर में डूबने लगा। इसके बाद जहाज दो टुकडों में टूट गया। जहाज के टूटने के बाद कई यात्री पानी में समा गए। हालांकि इस हादसे में करीब 700 लोगों को जिंदा बचा लिया गया था।
मारे गए करीब 1500 लोग
इस भयानक हादसे में करीब 1500 लोग मारे गए। इस हादसे की अगली सुबह कई लाइफबोट प्रशांत महासागर में उतारे गए। इस घटना को कई वृत्तचित्रों, किताबों और संग्रहालयों के जरिए ताजा रखा गया। दुर्भाग्यपूर्ण ही सही लेकिन यह घटना इतिहास के पन्नों में अमर हो गई। जेम्स कैमरुन ने वर्ष 1997 में इस घटना को लेकर एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाई, जिसमें सेलिन डायन के गीतों ने समां बांध दिया।
भुला दिए गए छह चीनी यात्री
पिछली शताब्दी की इस घटना ने सैकडों टाइटैनिक के पीड़ितों के परिवारों में कई किस्से, कहानियों का संरक्षित रखा। उनकी जीवनी, इतिहास की किबातों में हैं। उनके वंशजों ने इसे विस्तार से घरों में संरक्षित रखा है। हालांकि दुर्भाग्य देखिए कि उन छह चीनी यात्रियों को भुला दिया गया, जो डूबने से बच गए थे। चालाकी के साथ टाइटैनिक के साथ उनके संबंध को गायब कर दिया गया था। टाइटैनिक के इस प्रोजेक्ट को शुरुआत में नजरअंदाज कर दिया गया। कहा गया कि इस विषय पर पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चुका है। ऐसे में इसमें कुछ नया नहीं है। हालांकि टाइटैनिक जहाज के डूबने के 100 साल बाद इस पर काम शुरु हुआ।
टाइटैनिक पर शोध
हालांकि 22 साल तक चीन में रहने वाले न्यू जर्सी के मूल निवासी ने हाल ही में टाइटैनिक पर शोध किया था और बचे हुए छह चीनी लोगों का संक्षिप्त उल्लेख किया था।। लेकिन जितना अधिक उन्होंने छः के बारे में पता लगाने की कोशिश की, उतना हो नहीं सका, जो कि परेशान करने वाला था। बाकी ऐतिहासिक प्रोजेक्ट की तरह उनकी कहानी को भुला दिया गया। कार्ट ने कहा कि इसके बाद उनकी ओर से whoarehtesix.ocm बेबसाइट बनाई, जिससे उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लोगों तक पहुंच सके।
साउथेप्टन से आठ चीनी नागरिकों ने शुरु की यात्रा
साउथेप्टन से आठ चीनी नागरिकों ने टाइटैनिक जहाज से अपनी यात्रा शुरु की। उनका थर्ड क्लास का टिकट और उनकी जहाज पर एंट्री दर्ज थी। इसके बावजूद उनके दावों पर यकीन नहीं किया गया। दो साल की अथक मेहनत के बाद दस्तावेजों के माध्यम से फिल्म निर्माताओं ने महसूस किया कि शायद शिप पर काम करने वाले कई मजदूरों को कोयले की हड़ताल होने की वजह से कंपनी ने उन्हें एक मालावाहक डॉक में स्थानांतरिक कर दिया था।
पेशेवर मरीन थे चीनी नागरिक
माना जाता है कि चीनी नागरिक पेशेवर मरीन थे, जिसकी वजह से वो एक कंपनी से दूसरी कंपनी में ट्रांसफर होते रहते होंगे। निश्चित रुप से उनकी यात्रा योजनाबद्ध नहीं रही होगी। यह चीनी नागरिक केबिन के निम्नतम वर्ग में यात्रा कर रहे थे, जिसमें बचने की दर 20 फीसद थी। दस्तावेजों में कहा गया कि चीनी पुरुषों में से एक मुख्य लाइफबोट की फ्लोटिंग लकड़ी के एक बड़े टुकड़े से चिपक गया, जिससे उसकी जान बच सकी।
कारपैथिया में छह चीनी नागरिक नहीं थे
जब कारपैथिया 18 अप्रैल 2012 को न्यूयार्क पहुंचा, तो उसमें वो छह चीनी नागरिक नहीं थे, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1882 में चाइनीज एक्सक्लूजन एक्ट पास हुआ था, जिसके मुताबिक इन लोगों को अमेरिका में घुसने की इजाजत नहीं थी। ऐसे में इन्हें एक दूसरे शिप में ट्रांसफर कर दिया गया, जो कि कैरिबिनय से फलों को लेकर आ रहा था, जो कि दर्शाता है कि उस वक्त चाइनीच के साथ कैसा बर्ताव होता था। यह बर्ताव केवल चीन के साथ ही नहीं, बल्कि एशिया की दूसरी नस्लों के साथ किया जाता था। उन दिनों के छपने वाले अखबार में इसका जिक्र है।
लाइफबोट में चाइनीज को जगह नहीं दी गई
उस वक्त के चीनी अखबारों के मुताबिक यह दुखद था कि लाइफबोट में एक भी चाइनीज को जगह नहीं दी गई थी। टाइटैनिक फिल्म के डायरेक्टर कैमरोन ने अपनी फिल्म के एक सीन में चीनी नागरिक का रेस्क्यू करते हुए दिखाया है, जो कि एक लकड़ी के टुकड़े को पकड़कर तैर रहा होता है। हालांकि इस फिल्म से बाद में सीन को हटा दिया गया, जिसे यूट्यूब पर देखा जा सकता है। फिल्म द सिक्स का निर्माण कार्य हो चुका है। उम्मीद है कि यह फिल्म इस साल या फिर अगल साल रिलीज हो जाएगी। इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म की एक खास बात यह है कि इसमें चीनी नागरिकों को इतिहास में उचित जगह दी गई है। फिल्म मेकर्स का दावा किया गया है कि टाइटैनिक इन लोगों की कहानी का एक छोटा हिस्सा थी।
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