वायु प्रदूषण से बढ़ा गर्भपात का खतरा, बच्चों का दिमागी विकास भी होता है प्रभावित
एक अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। यही नहीं इससे यह भी आशंका रहती है कि गर्भ में ही शिशु की मौत हो जाए और गर्भवती को इसका पता भी नहीं चले।
बीजिंग, एएफपी। यह तो सभी जानते हैं कि वायु प्रदूषण से फेफड़ों और हृदय से जुड़ी बीमारियां होती हैं। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि वायु प्रदूषण के कारण गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है और ऐसी आशंका रहती है कि गर्भ में ही शिशु की मौत हो जाए और गर्भवती को इस बात का पता भी नहीं चले। इससे पहले हुए एक दूसरे अध्ययन में भी यह दावा किया था कि वायु प्रदूषण और गर्भावस्था की जटिलताओं के बीच एक संबंध है।
नए अध्ययन में चीनी विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण के कारण गर्भावस्था में होने वाली परेशानियों के बारे में विस्तार से बताया है। इस अध्ययन के परिणाम नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि हवा में सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्र बढ़ जाने पर यदि कोई गर्भवती इस हवा के संर्पक में रहती है तो गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण इतना खतरनाक है कि इसके संपर्क में आने से गर्भ में ही शिशु की मौत हो जाती है। इस अध्ययन के लिए चीन के चार विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं और चाइनीज साइंस एकेडमी के साथ मिलकर वर्ष 2009 से लेकर 2017 तक ढाई लाख गर्भवती महिलाओं की जांच की। इसी के आधार पर शोधकर्ताओं ने हवा प्रदूषण को खतरनाक बताया है।
इससे इतर ‘इनवायरमेंटल हेल्थ प्रस्पेक्टिव’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि वायु प्रदूषण से बच्चों को चिंता और आत्म अवसाद से संबंधित विकार ज्यादा घेरते हैं। अध्ययन के प्रमुख लेखक अमेरिका की सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के कोल ब्रोकैम्प ने बताया कि जो बच्चे स्लम एरिया के आसपास रहते हैं उनके स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। शोध के मुताबिक, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से नवजात शिशुओं के मस्तिष्क पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।