दुनिया को कोरोना देने के बाद अब चीन कर रहा Automated Epidemic Monitoring स्टेशन की तैयारी
अब तक कई बार चीन से संक्रामक वायरस निकलकर दुनिया को नुकसान पहुंचा चुके हैं ऐसे में अब इसकी मानीटरिंग के लिए भी एक सिस्टम बनाए जाने की योजना चल रही है।
बीजिंग। दुनिया भर में कोरोना वायरस पहुंचाने के बाद अब चीन अपने यहां इस तरह के वायरसों के बारे में पहले से पता लगाने के लिए मॉनीटरिंग स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है। ये स्टेशन कुछ उसी तरह से काम करेंगे जैसे आजकल के दिनों में मौसम के बारे में पूर्वानुमान लगाया जाता है।
इस मॉनीटरिंग स्टेशन से चीन के हर प्रांत को जोड़ा जाएगा और यदि किसी राज्य में इस जैसी बीमारी के लक्षण दिखाई देंगे तो वहां पर पहले से बचाव और राहत कार्य शुरू किया जा सकेगा। इन दिनों चीन में ऐसा ही साफ्टवेयर डेवलप करने की चर्चा चल रही है। इस तरह के साफ्टवेयर को स्काइनेट के माध्यम से आपरेट किया जाएगा। बताया जा रहा है कि ऐसा साफ्टवेयर में भविष्य में होने वाले जैविक युद्ध के समय भी सूचनाएं देने के काम आ सकेगा। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीन ऐसा स्काइनेट स्टेशन बनाने के लिए प्रमुखता से विचार कर रहा है।
कोरोना वायरस ने जिस तरह से दुनियाभर में आर्थिक और अन्य तरह से नुकसान पहुंचाया है उससे ये बहुत जरूरी हो जाता है कि अब इस पहलु को भी ध्यान में रखकर काम किया जा सके। चीन ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है जिससे यदि भविष्य में कोई देश उनके ऊपर किसी तरह के जैविक हथियार की योजना बनाए या करें तो उनको इसका पता पहले से ही चल जाएगा। इससे वो उससे बचाव कर पाएंगे। वैसे अभी तक किसी देश ने जैविक हथियार से बचाव और उसकी सूचना देने वाले किसी तंत्र के बारे में सोचा नहीं है।
मगर चीन ने कोरोना वायरस के प्रसार और उसके नुकसान को देखते हुए अब इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। शिन्हुआ न्यूज एंजेसी के हवाले से बताया गया कि चीन तकनीक के मामले में आगे बढ़ रहा है। चीन के एक सांसद ने तो बकायदा इसका प्रोजेक्ट तैयार कर लिया है और वो उसे संसद में पेश करने वाले है। वहां 5 जी जैसे नेटवर्क का इस्तेमाल हो रहा है इस वजह से इस तरह के साफ्टवेयर से वो चीजों को जल्दी पकड़ सकते हैं।
एक चीनी सांसद ने कहा कि वो इस वर्ष होने वाले संसद के दो सत्रों के दौरान इस तरह से एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने की योजना बना रहे हैं, जिससे देश में महामारी की वास्तविक समय की निगरानी की जा सके। इसके लिए एक कृत्रिम बुद्धि-आधारित "स्काईनेट सिस्टम" बनाया जाए और भविष्य में बढ़ती संक्रामक बीमारी के संभावित जैविक युद्धों के लिए तैयार रहा जाए। हाल के सालों में यहां पर जानवरों से भी तमाम तरह के संक्रमण के मामले सामने आए हैं, जो तेजी के साथ फैले और मानव जीवन को नुकसान पहुंचाया है। इस तरह की मशीन आ जाने के बाद इसके बारे में भी सूचनाएं मिल सकेंगी।
2019 में COVID-19 के प्रकोप के बाद से, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और समाज पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है। इस तरह की महामारी की रोकथाम और उस पर नियंत्रण के लिए इस दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। इस दिशा में एक बड़ा सवाल ये होगा कि महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक अच्छा प्रारंभिक सेटअप कैसे तैयार किया जाए जिससे इस तरह की जोखिम आने पर उससे बेहतर तरीके से निपटा जा सके और योजना बनाने वाले उस पर काम कर सकें और नियंत्रण पा सकें। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के डिप्टी और चीनी इंजीनियरिंग अकादमी के एक सदस्य चेंग जिंग ने कहा कि बिना इन चीजों के इस तरह की बीमारियों पर नियंत्रण पाना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि भविष्य में होने वाले प्रमुख नए संक्रामक रोगों का सामना करने के लिए देश को एक स्वचालित महामारी निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली स्थापित करनी ही चाहिए, साथ ही इसका सभी प्रांतों, क्षेत्रों और नगर पालिकाओं से सीधे कनेक्शन होना चाहिए, वो सीधे केंद्र सरकार के अधीन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नई रोगजनक पहचान तकनीक और 5 जी संचार, बड़े डेटा इसमें सहयोग करेंगे।
इसी के साथ आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस और तकनीक के संयोजन के माध्यम से, महामारी की स्थिति के विकास को समझने में आसानी हो सकेगी। उसके बाद सरकारी नीति निर्माता इसके लिए प्लान बना सकेंगे जिससे इससे निपटा जा सके। उनका कहना है कि केवल इस तरह के कदमों को उठाकर देश ऐसी महामारी के प्रकोप या जैविक हथियार युद्ध की स्थिति में समयबद्ध तरीके से बच सकता है। यदि ऐसा हो जाए तो आने वाले समय में ऐसे संकटों से आसानी से निपटा जा सकेगा। तब इतनी जानें और आर्थिक नुकसान नहीं होगा।
स्काईनेट प्रणाली के लिए मुख्य चीजें :
इसके लिए एक नेटवर्क स्थापित करना होगा। जिससे ऐसे रोगों की चेतावनी मिल सके और उनकी पहचान हो सके, उसके बाद ऐसे रोगों से संबंधित डेटा कंट्रोल रूम को मिल जाएं। जब कंट्रोल रूम को डेटा मिल जाएगा उसके बाद वो उसका विश्लेषण करके ये बता सके कि जो डेटा मिले हैं वो किस तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं, उन पर किस तरह से रोक लगाने के लिए काम किया जा सकता है।
रोगों की पहचान करने के लिए अलग से एक प्लेटफॉर्म स्थापित किया जाए। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान चेंग ने बताया कि वो नाकों के जरिये शरीर के अंदर जाने वाले वायरसों का पता लगाने के लिए एक चिप तैयार कर रहे हैं। इसे माउंटेड रैपिड डिटेक्शन चिप का नाम दिया गया है, ये जुलाई तक उपलब्ध हो जाएगा। इस चिप के जरिये कोरोना वायरस का सही, आसानी और तेजी से पता लगाया जा सकेगा।