ओटावा, एजेंसी। कनाडा ने अपनी नई हिंद-प्रशांत रणनीति दस्तावेज में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की योजना पर जोर दिया है। जिसमें भारत के साथ एक नए व्यापार समझौते की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता शामिल है। जो रणनीतिक, जनसांख्यिकीय क्षेत्र, आर्थिक क्षेत्र में नई दिल्ली के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है।
हिंद-प्रशांत रणनीति दस्तावेज में इन बातों पर दिया जोर
कनाडा ने हिंद-प्रशांत रणनीति दस्तावेज में कहा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र अगली आधी सदी में कनाडा के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही दस्तावेज में चीन को वैश्विक शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है और अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानदंडों की अवहेलना के लिए एशियाई देश को फटकार लगाई गई है।
भारत का सामरिक महत्व और नेतृत्व ही बढ़ेगा
26 पन्नों के दस्तावेज में कहा गया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के बढ़ते रणनीतिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय महत्व ने इस रणनीति के तहत कनाडा के उद्देश्यों की खोज में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाया है। रणनीतिक दस्तावेज में व्यापार और निवेश सहित बढ़ते आर्थिक संबंधों के साथ-साथ सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में सहयोग भी शामिल है।
क्या है प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौता
यह दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (ईपीटीए) को समाप्त करके भारत के साथ बाजार की पहुंच का विस्तार करना चाहता है। इस रणनीति का उद्देश्य व्यापार आयुक्त सेवा के भीतर एक कनाडा-भारत डेस्क बनाना है, ताकि भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाले व्यवसायों और निवेशकों के लिए ईपीटीए के कार्यान्वयन को बढ़ावा दिया जा सके।
कनाडा ने क्या कहा
कनाडा ने कहा कि वह नई दिल्ली और चंडीगढ़ में कनाडा की वीजा-प्रसंस्करण क्षमता को मजबूत कर लोगों को आपस में जोड़ेगी। इसके अलावा कनाडा सरकार अकादमिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, युवा और अनुसंधान आदान-प्रदान का समर्थन भी करेगी। इस रणनीति में कहा गया है कि कनाडा और भारत में लोकतंत्र और बहुलवाद की साझा परंपरा है, जो एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और बहुपक्षवाद के लिए एक आम प्रतिबद्धता है। दस्तावेज के अनुसार, हिंद-प्रशांत क्षेत्र अगली छमाही में कनाडा के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।