....तो इस वजह से बोतल बंद पानी की बढ़ रही बिक्री, अध्ययन में चौंकाने वाले कारण आए सामने
कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन में आया सामने, विज्ञापन भी बोतल बंद पानी खरीदने के लिए करते हैं मजबूर
टोरंटो (प्रेट्र)। बोतल बंद पानी की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह ये नहीं है कि बोतल में बंद पानी को ज्यादा साफ माना जाता है, बल्कि इसके पीछे हमारे अंदर छिपा मृत्यु के प्रति भय है। इसके अलावा विज्ञापनों द्वारा इसकी ओर आकर्षित किया जाना भी एक कारण है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के बाद बताया है कि एक अवधारणा है कि बोतल में बंद पानी ज्यादा शुद्ध होगा और इस वजह से इसकी बिक्री ज्यादा होती है। वास्तव में ऐसा नहीं है। लोगों में मृत्यु का डर उन्हें बोतल बंद पानी खरीदने को मजबूर कर रहा है और इस वजह से इसकी बिक्री बढ़ रही है।
अध्ययन में पता चला है कि बोतलबंद पानी का अधिकतर प्रचार इंसान के मनोवैज्ञानिक संवेदनशीलता को गहराई से निशाना बनाता है और उन्हें किसी खास उत्पाद को खरीदने और उसके इस्तेमाल के लिए बाध्य करता है। विज्ञापनों को इस तरह दिखाया जाता है, जिससे लोगों को लगता है कि बोतल बंद पानी ही शुद्ध है और इसे पीने से ज्यादा स्वस्थ रहेंगे, जिससे अधिक साल तक जीवित रहेंगे।
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू में शोधकर्ता स्टेफनी कोट के मुताबिक, बोतलबंद पानी के प्रचारक हमारे सबसे बड़े भय के साथ दो अहम तरीकों से खेलते हैं। मृत्यु का भय हमें खतरे में पड़ने से रोकता है। कुछ लोगों को बोतलबंद पानी सुरक्षित और शुद्ध लगता है।
विज्ञापनों का पड़ता है असर
वाटरलू में पर्यावरण संकाय में फैकल्टी और शोधकर्ता सारा वोल्फ के मुताबिक, हमारे अध्ययन में सामने आया कि कोरपोरेट कैंपेन लोगों से शारीरिक रूप से स्वस्थ, फिटनेस की ओर ध्यान आदि के लिए प्रेरित करते हैं। इन विज्ञापनों में सेलेब्रेटी आदि के जरिए बोतल बंद पानी की ब्रांडिंग की जाती है और भावनात्मक रूप से लोगों को इस ओर खींचा जाता है। यही वजह है कि लोग न चाहते हुए भी मृत्यु के भय और स्वस्थ रहने की चाह में बोतल बंद पानी को तरजीह देते हैं।
इस तरह किया अध्ययन
इस अध्ययन के लिए सोशल साइकोलॉजी टेरर मैनेजमेंट थ्योरी (टीएमटी) का इस्तेमाल किया गया था। टीएमटी शोधकर्ताओं का तर्क है कि लोगों में मृत्यु और बेहोश होने का भय उनके व्यवहार और क्रियाकलापों को प्रभावित करता है। ऐसी स्थितियों में वे ऐसे कार्य करने को मजबूर हो जाते हैं, जो वास्तव में वे करना नहीं चाहते, लेकिन ऐसा करना उनकी मजबूरी बन जाता है।
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने बोतल बंद पानी के विज्ञापनों, तस्वीरों, वेबसाइट्स, वीडियो और कैंपेन का विश्लेषण किया। इसमें देखा गया कि वे मानव व्यवहार को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। इसके अलावा उन्होंने बिना बोतल बंद पानी के कैंपेन का भी विश्लेषण किया।