सावधान! बेहद नुकसानदेह साबित हो सकते हैं ये ड्रिंक, बढ़ रहा डायबिटीज का खतरा
कनाडा की सेंट माइकल और टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 155 अध्ययनों का विश्लेषण कर निकाला निष्कर्ष, कुदरती रूप से मीठी चीजों से नहीं होता है नुकसान
टोरंटो, प्रेट्र। वर्तमान में डायबिटीज तेजी से बढ़ती बीमारी है, जो दुनिया भर के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया कि भारत में 2030 तक करीब 9.8 करोड़ लोग टाइप 2 डायबिटीज का शिकार हो सकते हैं। वहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया भर में इस बीमारी से ग्रस्त वयस्कों की संख्या 20 फीसद बढ़ सकती है। हमारी अनियमित दिनचर्या और खानपान के अलावा कई अन्य कारण इसके लिए जिम्मेदार हैं। अब एक नवीन अध्ययन में इस बीमारी के एक और कारण के बारे में चेताया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि फ्रक्टोस युक्त खाद्य पदार्थों की तुलना में मीठे ड्रिंक का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है।
बीएमजे नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं का कहना है कि फलों व फ्रक्टोस युक्त अन्य खाद्य पदार्थों से रक्त में ग्लूकोज के स्तर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। वहीं, दूसरी तरफ मीठे पेय व ऐसे खाद्य पदार्थ जिन्हें केवल ऊर्जा के लिए लिया जाता है और उनमें पोषक तत्वों की मात्रा कम होती है शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।
कनाडा स्थित सेंट माइकल हॉस्पिटल के जॉन सिवेनपाइपर कहते हैं, हमारे अध्ययन के यह निष्कर्ष फ्रक्टोस युक्त खाद्य पदार्थों के स्रोतों की सही सिफारिशों के साथ डायबिटीज की रोकथाम में मददगार साबित होंगे। हालांकि, जॉन कहते हैं कि इस अध्ययन के परिणाम पूरी तरह से काफी नहीं हैं। इस दिशा में और अध्ययन की जरूरत है ताकि सटीक निष्कर्षों तक पहुंचा जा सके, जिससे डायबिटीज की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें।
गौरतलब है कि खाद्य पदार्थों की श्रृंखला में फ्रक्टोस कुदरती रूप से शामिल होता है। इनमें फल, सब्जियां, नेचुरल फ्रूट जूस और शहद शामिल हैं। इसके अलावा सॉफ्ट ड्रिंक्स, बैक्ड फूड, मिठाइयों आदि में भी इसे मिलाया जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कृत्रिम मिठास भी डायबिटीज का कारण बन सकती है। इसलिए ध्यान रखना चाहिए कि इसका प्रयोग बहुत अधिक न किया जाए।
इस तरह किया अध्ययन
कनाडा की सेंट माइकल और टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए 155 अध्ययनों को आधार बनाया। शोधकर्ताओं ने इन पूर्व के अध्ययनों का विश्लेषण किया, जो मानव शरीर में ग्लूकोज के स्तर पर फ्रक्टोस के प्रभाव के बारे में बताते हैं। इन अध्ययनों में 12 हफ्तों तक लोगों के डायबिटीज के स्तर की निगरानी की गई थी।
यह आया परिणाम
शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारे परिणाम बताते हैं कि कुदरती शर्करा शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नुकसान नहीं पहुंचाती है, जबकि मीठे पेय और कृत्रिम मिठास का अधिक सेवन टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है। इनसे इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
क्या है डायबिटीज
डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। अमेरिका में यह मृत्यु का आठवां और अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और यहां तक की बच्चे भी मधुमेह से ग्रस्त हो रहे हैं। निश्चित रूप से इसका एक बड़ा कारण पिछले 4-5 दशकों में चीनी, मैदा और ओजहीन खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट्स हैं।वीडियो में हम आपको बता रहे हैं डायबिटीज के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में।
डायबिटीज के प्रकार
टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज बचपन में या किशोर अवस्था में अचानक इन्सुलिन के उत्पादन की कमी होने से होने वाली बीमारी है। इसमें इन्सुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इन्सुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है। इससे प्रभावित ज्यादातर लोगों का वजन सामान्य से ज्यादा होता है या उन्हें पेट के मोटापे ककी समस्या होती है। यह कई बार आनुवांशिक होता है, तो कई मामलों खराब जीवनशैली से संबंधित होता है। इसमें इन्सुलिन कम मात्रा में बनता है या पेंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं। एक्सरसाइज, बैलेंस्ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है।