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Artificial Intelligence की मदद से फर्जी खबरों पर लगाम लगाएगा नया उपकरण

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया सिस्टम।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 09:53 AM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 09:53 AM (IST)
Artificial Intelligence की मदद से फर्जी खबरों पर लगाम लगाएगा नया उपकरण
Artificial Intelligence की मदद से फर्जी खबरों पर लगाम लगाएगा नया उपकरण

टोरंटो, आइएएनएस। सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली फेक न्यूज यानी फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से लैस एक नया उपकरण तैयार किया है, जो समाचार माध्यमों (टीवी, अखबार, सोशल मीडिया आदि) की खबरों को देखकर यह पता लगा सकता है कि खबर के तथ्य सही हैं या गलत। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस उपकरण का प्रयोग मीडिया संस्थानों में खबरों को तथ्यात्मक रूप से दुरुस्त करने के लिए भी किया जा सकता है।

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यह उपकरण कनाडा में वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है, जो डीप-लर्निंग एआइ एग्लोरिदम की मदद से खबरों की सत्यता की जांच करता है। वाटरलू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस अध्ययन के शोधकर्ता अलेक्जेंडर वोंग ने कहा, ‘यदि खबर या कहानी लिखने वाला तटस्थ है तो इस बात की संभावना कम करती है कि वह फेक हो। लेकिन कई बार लेखक अपने तथ्यों पर ध्यान नहीं दे पाता और खबर या कहानी को प्रकाशित या प्रसारित होने के लिए भेज देता है। ऐसे में नया उपकरण एक द्वारपाल की भूमिका निभा सकता है। इसमें ऐसी क्षमता है कि यह खबर को पढ़ने के बाद उसकी सत्यता का अनुमान लगा सकता है और तथ्यात्मक रूप से पुख्ता न पाए जाने पर उसे आगे बढ़ने से रोक देता है।’

यह अध्ययन कनाडा में आयोजित ‘कांफ्रेंस ऑन न्यूरल इंफॉर्मेशन प्रोसेसिंग सिस्टम्स’ में प्रस्तुत किया गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस उपकरण को बनाने का उद्देश्य ऐसे ऑनलाइन पोस्ट और समाचारों के प्रसार को रोकना है जो पाठकों को धोखा देने या भ्रमित करने के लिए गढ़े जाते हैं। आमतौर पर राजनीतिक या आर्थिक लाभ के लिए लोग फर्जी खबरों का सहारा लेते हैं।

स्वचालित है नया सिस्टम

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘नया एआइ सिस्टम पूरी तरह स्वचालित है और 90 फीसद झूठी खबरों की आसानी से पहचान कर सकता है।’ उन्होंने कहा कि कई बार एक ही खबर अलग-अलग समाचार माध्यमों में अलग-अलग आकड़ों के साथ प्रकाशित और प्रसारित की होती है तो यह तय करना मुश्किल होता है कि कौन-सी

खबर के आकडे़ सही हैं। ऐसे में नया उपकरण एक बैंचमार्क तय करने वाला हो सकता है।

पॉलिसी में बदलाव से भी मिलता है लाभ

सोशल मीडिया के दौर में कोई भी खबर तेजी से वायरल हो जाती है। उस खबर की सच्चाई जाने बिना उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेजी से फैलाया जाता है, जिसकी वजह से कई बार हिंसक झड़पों की खबरें भी सामने आती हैं। हालांकि, सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर फर्जी खबरें न फैलें इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स लगातार अपनी पॉलिसी में बदलाव करते रहते हैं। अब मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जमाने में नए उपकरणों के जरिये भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही फर्जी खबरों पर लगाम लगाया जा सकेगा।

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