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कोरोना के दौर में योग से कम हो सकता है डिप्रेशन, जानें क्या कहा शोधकर्ताओं ने

शोधकर्ता जेसिंटा ब्रिंसली ने कहा हमारी समीक्षा से जाहिर होता है कि गतिविधि आधारित योग से मानसिक विकार से पीडि़त लोगों में अवसाद संबंधी लक्षण कम हो सकते हैं।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 08:55 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 08:55 AM (IST)
कोरोना के दौर में योग से कम हो सकता है डिप्रेशन, जानें क्या कहा शोधकर्ताओं ने
कोरोना के दौर में योग से कम हो सकता है डिप्रेशन, जानें क्या कहा शोधकर्ताओं ने

वॉशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना वायरस से इस समय पूरी दुनिया जूझ रही है। इसका लोगों की मानसिक सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। योग में इस समस्या से भी निजात पाने की संभावना दिखी है। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना महामारी के दौरान गतिविधि आधारित योग करने से लोगों में डिप्रेशन (अवसाद) संबंधी लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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शोधकर्ताओं के अनुसार, ऐसा कोई भी गतिविधि आधारित योग किया जा सकता है, जिसमें करीब आधे समय तक शारीरिक तौर पर सक्रिय रहा जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया और यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में गतिविधि आधारित योग से डिप्रेशन, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसार्डर (पीटीएसडी), सिजोफ्रेनिया, व्यग्रता और बाइपोलर डिसार्डर से जूझ रहे लोगों की मानसिक सेहत में सुधार पाया। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया की शोधकर्ता जेसिंटा ब्रिंसली ने कहा, 'हमारी समीक्षा से जाहिर होता है कि गतिविधि आधारित योग से मानसिक विकार से पीडि़त लोगों में अवसाद संबंधी लक्षण कम हो सकते हैं।' 

प्लेसेंटा को भी नुकसान पहुंचा सकता है कोविड-19

कोरोना वायरस (कोविड-19) से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का खतरा बढ़ गया है। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इस खतरनाक वायरस से पीडि़त गर्भवती महिलाओं में प्लेसेंटा (गर्भनाल) को भी नुकसान पहुंच सकता है। यह निष्कर्ष 16 गर्भवती महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इन महिलाओं में प्लेसेंटा में इंजरी (जख्म) का पता चला है।

अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल पैथोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, प्लेंसेंटा में एक तरह के जख्म के चलते गर्भ में पल रहे शिशु और मां के बीच असामान्य रक्त प्रवाह देखने को मिला। अमेरिका की नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि इन नतीजों से कोरोना महामारी के इस दौर में गर्भवती महिलाओं की निगरानी करने में मदद मिल सकती है। इससे इस तरह के खतरे को टाला जा सकता है।


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