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बच्चों में होती है अपार ज्ञान की क्षमता, मातृभाषा सीखने में 1.5 एमबी की जानकारी जुटाते हैं बच्चे

अमेरिका की यूसी बर्कले विश्वविद्दालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि भाषा पर पकड़ बनने के दौरान बच्चे प्रति मिनट दो बिट्स की जानकारी ग्रहण करते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 11:34 AM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 11:40 AM (IST)
बच्चों में होती है अपार ज्ञान की क्षमता, मातृभाषा सीखने में 1.5 एमबी की जानकारी जुटाते हैं बच्चे
बच्चों में होती है अपार ज्ञान की क्षमता, मातृभाषा सीखने में 1.5 एमबी की जानकारी जुटाते हैं बच्चे

लॉस एंजिलिस, पीटीआइ। मातृभाषा सीखने के दौरान बच्चे कुल 1.5 मेगाबाइट की जानकारी अपने दिमाग में ग्रहण करते हैं। किसी भाषा को सही-सही समझने में शिशु काल से लेकर युवावस्था तक का समय लग जाता है। इस दौरान भाषाई समझ विकसित होने में कुल 1.25 करोड़ बिट्स डाटा मस्तिष्क में स्टोर होता है। यानी भाषा पर पकड़ बनने के दौरान बच्चे प्रति मिनट दो बिट्स की जानकारी ग्रहण करते हैं।

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किसी भाषा का सही-सही ज्ञान होने तक हर बच्चे के दिमाग में इतनी जानकारी इकट्ठा हो जाती है कि अगर उसे बाइनरी कोड में बदलें तो यह 1.5 मेगाबाइट जितनी जानकारी स्टोर कर लेता है। लंबे समय के अध्ययन के बाद प्राप्त निष्कर्ष को रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

इस शोध को अमेरिका में यूसी बर्कले विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया यह लगता है कि लोगों को अपनी मातृभाषा सीखने में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती है। यूसी बर्कले में सहायक प्रोफेसर स्टीवन पियांतदोसि ने बताया कि अध्ययन से सामने आया कि बच्चे और किशोर अद्भुत शिक्षार्थी होते हैं, जो 1000 बिट्स की जानकारी प्रत्येक दिन इकट्ठा करते हैं।

अध्ययन में पता चला कि भाषा सीखने में बच्चे बड़ों से आगे हैं। वे शब्दों के असीमित भंडार याद रख लेते हैं। अध्ययन से इस बात की स्पष्टता मिलती है कि भाषा सीखने में व्याकरण से ज्यादा शब्दों के अर्थ पर पकड़ की कोशिश मनुष्य का एक स्वाभाविक गुण है। रोबोट के विपरित मानव शब्दों के मतलब जानने में ज्यादा रूचि लेता है। प्रोग्रामिंग के अनुसार रोबोट वाक्य संरचना तो तुरंत कर देता है लेकिन शब्दों के सही-सही मतलब नहीं बता पाता।

एक बिट या बाइनरी डिजिट कंप्यूटिंग में किसी डाटा कि बेसिक इकाई होती है। कंप्यूटर किसी भी जानकारी को केवल दो 0 और 1 के फार्म में याद रखता है। आठ बिट्स मिलकर एक बाइट बनाते हैं।

द्विभाषियों को नहीं जुटाना पड़ता दोगुना डाटा

स्टीवन पियांतदोसि ने बताया कि जो लोग दो भाषाएं बोलते हैं तो इसका मतलब यह नहीं उनको दोगुना डाटा इकट्ठा करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कई शब्द ऐसे होते हैं जो दुनिया की लगभग हर भाषा में थोड़ी भिन्नता के साथ पाए जाते हैं। ऐसे में पहली भाषा सीखने में जुटाई गई जानकारी से कम ही जानकारी जुटानी पड़ती है। 


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