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अमेरिका और चीन के तल्‍ख रिश्‍तों की गूंज यूएन पहुंची, घातक कोरोना वायरस पर चिंतित

संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव से संयुक्‍त राष्‍ट्र की चिंता बढ़ गई है। इसके अलावा संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में घातक कोरोना वायरस महामारी और अन्‍य चुनौतियों का जिक्र किया गया।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 08:01 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 08:01 AM (IST)
अमेरिका और चीन के तल्‍ख रिश्‍तों की गूंज यूएन पहुंची, घातक कोरोना वायरस पर चिंतित
संयुक्‍त राष्‍ट्र की फाइल फोटो: स्रोत दैनिक जागरण

संयुक्‍त राष्‍ट्र, एजेंसी। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव की गूंज संयुक्‍त राष्‍ट्र तक पहुंच चुकी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर सोमवार को अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव पर चिंता जाहिर किया। 193 सदस्‍यों वाले संयुक्‍त राष्‍ट्र ने घातक कोरोना वायरस महामारी के साथ अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव को सबसे बड़ी चुनौती मानाा है। 

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कोरोना वायरस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र की चुनाती और संघर्ष को बड़ा किया 

विश्‍व नेताओं ने कहा कि इस वर्ष की शुरुआत में कोरोना वायरस की महामारी ने लाखों लोगों की जान ली। कोरोना वायरस के प्रसार के भय के कारण लाखों लाग घरों के अंदर कैद होने को मजबूर हुए हैं। कोरोना वायरस के कारण देशों की अर्थव्‍यवस्‍था चौपट हो चुकी है, जिसके चलते युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। प्रतिबंधों के चलते कई देशों में विद्रोह की स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है। कोरोना महामारी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र की चुनौती को बढ़ाया है। संयुक्‍त राष्‍ट्र इस समस्‍या से निपटने के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है।

UN की 75 वीं वर्षगांठ पर कोरोना वायरस का असर 

75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में आयोजित समारोह में दुनिया भर से नेताओं को आना था, लेकिन महामारी के चलते वे नहीं आ सकते। इसलिए अब ज्यादातर नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये समारोह में शिरकत करेंगे। हफ्ते भर चलने वाले चर्चा के सत्र में राष्ट्राध्यक्ष, शासनाध्यक्ष और मंत्रीगण प्री-रिकॉर्डेड वीडियो के जरिये अपनी बात रखेंगे। समारोह की शुरुआती संबोधन में महासचिव गुतेरस ने दुनिया में शांति की स्थापना में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को याद किया। उन्‍होंने कहा कि विश्व संस्था ने -उपनिवेशवाद को खत्म कर, मानवाधिकारों के मानदंड तय कर, रंगभेद समाप्त कर, बीमारियों के उन्मूलन, भुखमरी को नियंत्रित करने और पर्यावरण सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक समझौता कर अपने गठन के उद्देश्य को काफी हद तक पूरा किया है। लेकिन अभी भी बहुत सा काम किया जाना बाकी है, खासतौर पर लैंगिक असमानता को दूर करने की दिशा में। दुनिया के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है।


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