अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का म्यांमार को आदेश, रोहिंग्या की सुरक्षा का करे पूरा इंतजाम
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने आदेश दिया है कि म्यांमार सरकार रोहिंग्या समुदाय की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए।
हेग, रायटर। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में म्यांमार से रोहिंग्या आबादी को सुरक्षा देने के लिए कहा है। कहा है कि रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा और उनका नरसंहार रोका जाए। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का यह आदेश बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रह रहे साढ़े सात लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की यह पहली कानूनी जीत है। ये शरणार्थी म्यांमार में हुई सैन्य कार्रवाई के बाद भागकर बांग्लादेश आए हैं।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामले से संबंधित याचिका गांबिया ने दाखिल की थी। म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के लोगों के हुए नरसंहार को संयुक्त राष्ट्र के 1948 के अंतरराष्ट्रीय समझौते का स्पष्ट उल्लंघन कहा गया था। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय दो या इससे ज्यादा देशों के बीच के विवादों को निपटाने के लिए सबसे बड़ी अदालत है। न्यायालय का अंतिम आदेश आने के अभी कई वर्ष लग सकते हैं। लेकिन गांबिया के अपील पर न्यायालय ने गुरुवार को रोहिंग्या समुदाय के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर अंतरिम आदेश जारी किया।
रोहिंग्या समुदाय को सुरक्षा दे म्यांमार सरकार
आदेश में कहा गया कि म्यांमार सरकार रोहिंग्या समुदाय की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए। पीठासीन न्यायाधीश अब्दुलकावी यूसुफ ने आदेश के मुख्य बिंदुओं को घोषणा करते हुए कहा- प्रत्येक चार महीने में सुरक्षा उपायों की न्यायालय को जानकारी दी जाए। अंतरिम आदेश में कहा गया है कि म्यांमार सरकार हिंसा रोकने के लिए सरकार सेना और अन्य हथियारबंद संगठनों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे।
हेग पहुंचे रोहिंग्या
इस आदेश को सुनने के लिए पूरी दुनिया से रोहिंग्या हेग पहुंचे थे। जैसे ही सर्वसम्मत अंतरिम आदेश घोषित हुआ, उन्होंने न्यायालय के बाहर खुशी मनानी शुरू कर दी। उन्होंने अपने समुदाय को संरक्षित अल्पसंख्यक मूलवासी का दर्जा दिए जाने की भी मांग की। कनाडा से आईं यास्मीन उल्ला ने कहा, इस पहचान के लिए हम लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे थे। अन्य लोगों की तरह हमें भी मनुष्य माना जाए, हम यह चाहते हैं। म्यांमार का बौद्ध बहुल समाज हमें देश का मूलवासी मानने से इन्कार करता है। वे हमें बांग्लादेश के अप्रवासी कहते हैं।