घर से काम : कुर्सी छोड़ें, बैठने की मुद्रा बदलें; उकड़ूं बैठने से कसरत के साथ ठीक रहता है स्वास्थ्य
दफ्तर में मेज-कुर्सी पर बैठकर एक ही मुद्रा में काम करना पड़ता है लेकिन घर में काम के दौरान बैठने की मुद्रा में हम बदलाव कर लें तो अपनी सेहत में काफी हद तक सुधार ला सकते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स से वाशिंगटन। कोरोना वायरस से संकट के इस दौर में ज्यादा से ज्यादा लोगों को घर में रहकर दफ्तर का काम करना पड़ रहा है। ज्यादातर लोग लैपटॉप पर काम कर रहें तो कई लोगों को फाइलों में माथापच्ची करनी पड़ रही है। दफ्तर में मेज-कुर्सी पर बैठकर एक ही मुद्रा में काम करना पड़ता है, लेकिन घर में काम के दौरान बैठने की मुद्रा में हम बदलाव कर लें तो अपनी सेहत में काफी हद तक सुधार ला सकते हैं।
अफ्रीकी देश तंजानिया की हजदा जाति के लोगों पर हाल ही में की गई रिसर्च के नतीजे भी कुछ इसी बात की तस्दीक कर रहे हैं। निष्कर्ष प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज में प्रकाशित किए गए हैं जो काफी चौंकाने वाले हैं। इन निष्कर्षों के अनुसार हर दिन मात्र दो-तीन घंटे ही शिकार आदि गतिविधियों में व्यस्त रहने वाली इस जाति के पुरुष और महिलाएं लंबा समय आराम करने या निष्क्रिय रहते हुए बिताते हैं। इसके बावजूद इनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है और किसी को गंभीर रोग नहीं होता। उनकी अच्छी सेहत का रहस्य पता करने के लिए हजदा जाति के 28 लोगों को ट्रैकर पहनाए गए।
ट्रैकर से पता चला कि उन्होंने शारीरिक श्रम की अपेक्षा निष्क्रिय रहते हुए ज्यादा समय बिताया। इस पर उनकी दिनचर्या को और परखा गया। रिसर्च में पाया गया कि आराम के दौरान ज्यादातर वे उकड़ूं बैठे रहे। इस विशेष मुद्रा में वे निष्क्रिय तो रहे, लेकिन पैरों और पेट की पेशियों पर दबाव से उनकी कसरत होती रही। बैठने का यह तरीका ही उनकी अच्छी सेहत का राज निकला।
यूनिवर्सिटी आफ सदर्न कैलिफोर्निया के डेविड रैचलेन ने बताया कि इस जाति के लोग विकसित देशों के लोगों के जितना समय ही आराम करने में बिताते हैं। लेकिन वे कुर्सी पर बैठने के बजाय विशेष मुद्रा में बैठते हैं। वहीं हम अपना बहुत सा समय कुर्सी पर बैठे हुए बिताते हैं। इस दौरान हमारे पैर निष्क्रिय रहते हैं। मनुष्य का विकास क्रम इस तरह हुआ है कि हमें अपने शरीर की पेशियों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। इससे शरीर की कसरत होने सेहत दुरुस्त रहती है।
भारतीय योग-आसन भी इसी सिद्धांत पर आधारित हैं। विभिन्न यौगिक मुद्राओं का नियमित अभ्यास अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। योग-आसन के दौरान जिस तरह हाथ-पैर मोड़ते हैं उसी तरह हम बैठने की कोई मुद्रा अपना सकते हैं। इन मुद्राओं से पेशियों के साथ-साथ आंतरिक अंगों पर दबाव पड़ता है। इस दबाव से इन अंगों की क्रियाशीलता बढ़ती है। कोरोना के कारण जिन लोगों को घर से काम करने का अवसर मिल रहा है उनके लिए बेहतर यही होगा कि वे कुर्सी का मोह त्याग रीढ़ सीधीकर उकड़ूं या किसी अन्य मुद्रा में बैठकर अपना काम करें।