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इस नई तकनीक से पैरालिसिस का खतरा होगा कम, दर्द से मिलेगी राहत

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा वायरलेस सिस्टम तैयार किया है जो प्रकाश की मदद से आपके मस्तिष्क में न्यूरांस को नियंत्रित कर सकता है।

By Arti YadavEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 01:15 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 01:15 PM (IST)
इस नई तकनीक से पैरालिसिस का खतरा होगा कम, दर्द से मिलेगी राहत
इस नई तकनीक से पैरालिसिस का खतरा होगा कम, दर्द से मिलेगी राहत

वाशिंगटन, प्रेट्र। विज्ञान सिर्फ तकनीक के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि चिकित्सा के क्षेत्र में भी तेजी से बदलाव ला रहा है। इसकी मदद से बहुत सी बीमारियों का इलाज आसान हो गया है और गंभीर बीमारियों वाले मरीजों में भी जीवन की आस दिखने लगी है। वैज्ञानिकों ने अब मस्तिष्क के न्यूरांस को नियंत्रित करने की वायरलेस तकनीक खोजी है।

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हमारे शरीर में इंद्रियों से प्राप्त की गई हर सूचना न्यूरांस के माध्यम से ही मस्तिष्क तक पहुंचती है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा वायरलेस सिस्टम तैयार किया है जो प्रकाश की मदद से आपके मस्तिष्क में न्यूरांस को नियंत्रित कर सकता है। इस के माध्यम से दर्द की संवेदनाओं को कम किया जा सकता है और गंभीर तंत्रिका संबंधी विकारों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। ओप्टोजेनेटिक्स एक जैविक तकनीक है जिसमें प्रकाश के उपयोग से मस्तिष्क में विशिष्ट न्यूरॉन समूहों को सक्रिय और अक्रिय किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने बताया इस ओप्टोजेनेटिक तकनीक का उपयोग करके पैरालिसिस के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके माध्यम से दर्द को महसूस कराने वाले न्यूरांस को नियंत्रित किया जा सकता है। जिससे पेन किलर और अन्य दवाइयों के सेवन से बचा जा सकता है। अमेरिका की एरिजोना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फिलिप गुटरूफ ने बताया कि दिमाग के विभिन्न प्रकार के भाग किस तरह से काम करते हैं इसे समझने के लिए इस तरह के यंत्र बनाए गए हैं। नेचर इलेक्ट्रॉनिक्स में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक ओप्टोजेनेटिक्स का यह फायदा है कि इससे प्रत्येक कोशिका पर पकड़ अच्छी होती है। न्यूरांस के किसी विशेष ग्रुप को पहचान कर मस्तिष्क में उनके कार्य और व्यवहार के बारे में जाना जा सकता है।

ओप्टोजेनेटिक्स में शोधकर्ताओं ने विशेष प्रकार के न्यूरांस (ओप्सिन) को प्रोटीन के साथ छोड़ा। ये न्यूरांस प्रकाश को विद्युत क्षमता में परिवर्तित करते हैं। जब शोधकर्ताओं ने दिमाग के एक हिस्से में प्रकाश डाला तो इससे ओप्सिन लोडेड न्यूरांस सक्रिय हो गए। ओप्टोजेनेटिक्स के पहले के तरीकों में एक आप्टिकल फाइबर के माध्यम से दिमाग में प्रकाश भेजा जाता था। इस तकनीक में लगने वाले उपकरण भारी होते थे। जिन्हें सिर के स्कल्प के भीतर लगाना संभव नहीं था।


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