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तो क्या नए स्पेससूट से खत्म हो जाएगी यूरी गगारिन की शुरु की परंपरा, पहिये पर नहीं कर पाएंगे सूसू

वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में जाने वालों के लिए एक ऐसा स्पेस सूट बनाया है जिसको पहनने के बाद वो पुरानी मान्यताओं का पालन नहीं कर पाएंगे।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 05:45 PM (IST)
तो क्या नए स्पेससूट से खत्म हो जाएगी यूरी गगारिन की शुरु की परंपरा, पहिये पर नहीं कर पाएंगे सूसू
तो क्या नए स्पेससूट से खत्म हो जाएगी यूरी गगारिन की शुरु की परंपरा, पहिये पर नहीं कर पाएंगे सूसू

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अंतरिक्ष यात्री भी अंतरिक्ष में जाने से पहले तमाम तरह के टोने-टोटके करते हैं, इसी के तहत यूरी गगरिन ने एक टोटका शुरु किया था, इसके तहत जो बस उन्हें लॉन्च पैड तक ले जाती है वो उसके पिछले दाहिने पहिए पर मूत्र त्याग करते हैं। उसके बाद तमाम अंतरिक्ष यात्री इसका पालन कर रहे हैं वो शगून के तौर पर अंतरिक्ष में जाने से पहले बस के पहिये पर सूसू करते हैं, उसके बाद ही अंतरिक्ष यान में जाते थे फिर वो टेक ऑफ करता था। अब रुस ने गुरुवार को एक नया हल्का अंतरिक्ष सूट बनाया है, इस सूट में एक मक्खी तक नहीं घुस पाएगी। इसमें आगे जिपर नहीं होगा, ये पूरी तरह से पैक बनाया गया है। पूरी तरह से पैक हो जाने के बाद अब जो अंतरिक्ष यात्री इसे पहनेगा वो मान्यता के तौर पर बस के पहिये पर सूसू नहीं कर पाएगा। 

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क्या है टोटका

रूसी अंतरिक्ष यात्री यान में सवार होने के पहले जो बस उन्हें लॉन्च पैड तक ले जाती है, उसके पिछले दाहिने पहिए पर मूत्र त्याग करते हैं। यह परंपरा तब शुरू हुई जब 12 अप्रैल 1961 को जब यूरी गैगरिन अंतरिक्ष में जाने वाले थे। उन्हें बहुत तेज पेशाब लगी थी। उन्होंने बीच रास्ते में बस रुकवा कर पिछले दाहिने पहिए पर मूत्र त्याग दिया। उनका मिशन सफल रहा। तब से यह चल रहा है। यही नहीं अंतरिक्ष में जाने से पहले रूस में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए संगीत बजाया जाता है। इसकी शुरुआत भी यूरी गैररिन ने की थी। यहीं नहीं सभी अंतरिक्ष यात्री गैगरिन की गेस्ट बुक में हस्ताक्षर करके यात्रा को निकलते हैं।

दशकों पहले शुरु हुई थी परंपरा

दशकों पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन ने एक टोटके के तहत इस परंपरा की शुरुआत की थी। उसके बाद से ये परंपरा लगातार चली आ रही है। अभी चंद्रयान-2 की लाचिंग के दौरान भी इस परंपरा का पालन किया गया था, चंद्रयान में जाने वाले वैज्ञानिकों ने बस के पहिये पर सूसू किया था उसके बाद वो चंद्रयान-2 में गए फिर इसको लांच किया गया। रूस ने गुरुवार को एक नया, हल्का अंतरिक्ष सूट का अनावरण किया है जिसमें किसी भी तरह से एक मक्खी तक के जाने का कोई चांस तक नहीं है। अब ये कहा जा रहा है कि इस नए स्पेस सूट को पहन लेने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बस के पहिये पर पुरानी परंपरा को निभाना किसी भी तरह से संभव नहीं होगा।

रुस ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस नए स्पेस सूट को डिजाइन किया है, गुरुवार को ये नई ड्रेस लांच की गई, अब ये कहा जा रहा है कि सदियों पुरानी परंपरा को बनाए रखने के लिए इस ड्रेस में बदलाव किया जा सकता है। इसमें ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि जो पुरानी मान्यताएं है वो उसका पालन कर सकें। क्योंकि अंतरिक्ष यात्रियों का भी ऐसा मानना है कि यदि वो पुरानी मान्यताओं को मानते हुए काम करते हैं तो वो अपने अभियान में सफल हो जाते हैं।

मास्को में एक एयरशो में सोकोल-एम प्रोटोटाइप सूट का प्रदर्शन किया गया, सोकोज अंतरिक्ष यान पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को लॉन्च करने के दौरान वर्तमान में पहने जाने वाले सूट को भविष्य में रिप्लेसमेंट किया जाएगा। मॉस्को के सोयुज में 1960 के दशक के बाद से, फेडरेशन नामक एक नए रूसी जहाज के साथ इसे अगले कुछ सालों में चरणबद्ध तरीके से बदल दिया जाना है। 

पहिये पर सूसू करने की बजाय छींटे डालने की सलाह

सूट के निर्माता, एयरोस्पेस फर्म ज़वेजा का कहना है कि नए अंतरिक्ष सूट 'नई सामग्री' से बने होंगे और शरीर के विभिन्न आकारों के अनुकूल होंगे। वर्तमान सूट प्रत्येक व्यक्ति के लिए कस्टम-मेड होना चाहिए। इसमें महिला अंतरिक्ष यात्रियों को भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है लेकिन कुछ को इसके बजाय टायर पर छींटे डालने के लिए अपने मूत्र को शीशियों को लाने के लिए कहा जाएगा। 

मुझे यकीन नहीं है कि वे कैसे (परंपरा को आगे बढ़ाएंगे), क्योंकि हमने डिज़ाइन नहीं किया है। Zvezda निदेशक सर्गेई Pozdnyakovने कहा कि हम डिजाइन स्पेशिफिकेशन है। रूसी एजेंसियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह नहीं है कि पहिया पर पेशाब करना आवश्यक है, वहां पर इसकी छीटें भी डाली जा सकती है। 

चंद्रयान-2 की लाचिंग के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने क्या टोटका किया था, जानने के लिए ये खबर पढ़ें :- 

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