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बच्चों की अच्छी सेहत के लिए फोन से दूरी बहुत जरूरी, चार करोड़ बच्चे हो रहे मोटापे का शिकार

डब्ल्यूएचओ से जुड़ी डॉ. फियोना बुल ने कहा शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने बैठे रहने का वक्त कम करने और अच्छी नींद लेने से बच्चे का बेहतर विकास होता है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 07:16 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 07:16 PM (IST)
बच्चों की अच्छी सेहत के लिए फोन से दूरी बहुत जरूरी, चार करोड़ बच्चे हो रहे मोटापे का शिकार
बच्चों की अच्छी सेहत के लिए फोन से दूरी बहुत जरूरी, चार करोड़ बच्चे हो रहे मोटापे का शिकार

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। स्मार्टफोन हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बनता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि सालभर से भी कम उम्र के बच्चों को माता-पिता फोन दिखाने लगे हैं। तीन बरस का बच्चा जब फोन पर अपनी मर्जी के यूट्यूब चैनल चलाने लगता है, तो टचस्क्रीन पर उसकी अंगुलियों की करामात देख माता-पिता बहुत गर्व महसूस करते हैं। अगर आप भी ऐसे अभिभावकों में से हैं, तो जरा संभल जाएं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बच्चों को फोन और टीवी दिखाने को लेकर चेताया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ज्यादा देर फोन देखना बच्चे की सेहत पर भारी पड़ सकता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि टीवी, मोबाइल या लैपटॉप पर ज्यादा वक्त बिताने से बच्चों की शारीरिक व मानसिक सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है। हालांकि अब तक इसको लेकर बहुत ज्यादा डाटा नहीं जुटाया जा सका है।

डब्ल्यूएचओ ने दुनियाभर में मोटापे के बढ़ते खतरे से निपटने और बच्चों का बेहतर विकास सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाया है। इसी अभियान के अंतर्गत स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल या टीवी के सामने बिताए जाने वाले वक्त को लेकर भी दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि जीवन के शुरुआती पांच साल बच्चों के दिमागी विकास और स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अहम होते हैं।

ऐसे बच्चों का स्क्रीन टाइम कम-से-कम रखने की कोशिश करनी चाहिए। बेहतर होगा कि एक साल से छोटे बच्चों को इनसे पूरी तरह दूर रखा जाए। पांच साल तक के बच्चों के लिए दिन में एक घंटे का स्क्रीन टाइम पर्याप्त है। ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चे मोटापे का शिकार हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के करीब चार करोड़ बच्चे मोटापे का शिकार हैं। इनमें से आधे बच्चे अफ्रीका व एशिया से हैं।

बहुत अहम होती है यह उम्र
शुरुआती उम्र में बच्चों की जैसी आदत बन जाती है, आगे की उम्र में भी अक्सर वही आदत बनी रहती है। इसलिए बचपन में ही आदतों को सही रखना बेहद जरूरी है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेडरोस एडनम ने कहा, 'बचपन तेज विकास का वक्त होता है।

इस समय परिवार के लाइफस्टाइल पैटर्न का सेहत पर बहुत असर पड़ता है।' बच्चों को बहुत समय तक सुलाकर या बैठाकर रखना उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। पढ़ना, कहानी सुनना, पहेलियां हल करना सेहत के लिहाज से बेहतर विकल्प हो सकता है।

जिंदगीभर के लिए अच्छी सेहत की सौगात
डब्ल्यूएचओ से जुड़ी डॉ. फियोना बुल ने कहा, 'शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने, बैठे रहने का वक्त कम करने और अच्छी नींद लेने से बच्चे का बेहतर विकास होता है। इससे ना केवल उसे मोटापे से दूर रखना संभव है, बल्कि आगे चलकर होने वाली कई बीमारियों से भी यह लाइफस्टाइल उसे बचा सकती है।'

शारीरिक गतिविधियों को लेकर तय मानक पूरा नहीं करना विभिन्न आयु वर्ग में हर साल 50 लाख से ज्यादा लोगों की असमय मौत का कारण बन जाता है। इस समय करीब 23 फीसद वयस्क और 80 फीसद बच्चे पर्याप्त रूप से सक्रिय लाइफस्टाइल नहीं जी रहे हैं।

एक साल से छोटे बच्चों को भी रखें सक्रिय
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि एक साल से कम उम्र के बच्चों को भी अलग-अलग तरीके से सक्रिय रखना चाहिए। उन्हें फर्श पर खेलने का मौका देना चाहिए। बच्चों को लगातार एक घंटे से ज्यादा किसी एक ही स्थिति में रहने के लिए मजबूर करना सही नहीं है। बहुत देर तक उन्हें प्रैम या स्ट्रॉलर में बैठाए रखना, किसी कुर्सी पर बैठाकर छोड़ देना या फिर गोद में लेकर बैठे रहना सही नहीं है।


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