WHO ने किया नस्लभेद के खिलाफ प्रदर्शनों का समर्थन, कहा- लेकिन न हो जाएं लापरवाह
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अमेरिका में एक अश्वेत नागरिक की कथित हत्या के खिलाफ दुनिया भर में हो रहे प्रदर्शनों का समर्थन किया है।
न्यूयॉर्क। अमेरिका में नस्लभेद के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के समर्थन में अब विश्व स्वास्थ्य संगठन भी आ खड़ा हुआ है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रॉस गैबरयेसस का कहना है कि वे दुनियाभर में नस्लवाद के खिलाफ चले आन्दोलन का खुलकर समर्थन करते हैं क्योंकि ये संगठन किसी भी तरह के भेदभाव को स्वीकार नहीं करता है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस तरह के प्रदर्शनों में जुटने वाली भीड़ को विरोध की आवाज उठाते समय पूरी एहतियात भी बरतनी होगी। गौरतलब है कि अमेरिका के मिनियापॉलिस शहर में एक श्वेत पुलिस अधिकारी द्वारा एक अश्वेत (अफ्रीकी -अमेरिकन) व्यक्ति व्यक्ति जॉर्ज फ्लायड की कथित हत्या किए जाने के बाद न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया के कई देशों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। अमेरिका में तो इसके चलते नेशनल गार्ड को तैनात करने का फैसला लिया गया था।
इन प्रदर्शनों का समर्थन करते हुए डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को याद रखना होगा कि वे कोरोना महामारी का भी सामना कर रहे हैं। उन्हें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनते हुए वह इसके प्रसार का हिस्सा न बन जाएं। लिहाजा विरोध करते समय में एक दूसरे से तय दूरी बनाए रखनी जरूरी है। मास्क के अलावा दो व्यक्तियों के बीच एक की दूरी होना भी जरूरी है। खांसते या छींकते समय विशेष सावधानी बरतनी जरूरी है। आपको बता दें कि दुनिया भर में कोरोना वायरस से 72 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा चार लाख को पार कर चुका है। ऐसे में एहतियात बरतना और अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति निभाना हम सभी का पहला कर्तव्य बन जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आगाह किया कि इन विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेते समय लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए निरन्तर सावधानी बरतनी होगी। उनके मुताबिक मई के अंत से ही हर रोज दुनिया में कोरोनावायरस संक्रमण के एक लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। उन्होंने इस पर चिंता जताते हुए ये तक कहा कि यह समय बेपरवाह होने का नहीं है। डब्ल्यएचओ के मुताबिक पश्चिमी यूरोप में हालात पहले से बेहतर हुए हैं लेकिन लेकिन दूसरे कई देशों में हालात काफी खराब हो रहे हैं। उनके इस बयान की पुष्टि वर्ल्डओमीटर के भी आंकड़े कर रहे हैं। इन आंकड़ों की मानें तो 27 मई के बाद से ही हर रोज एक लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें भी 4 और 5 जून को सर्वाधिक मामले सामने आए हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इस दौरान सामने आने कुल मामलों में से 75 फीसद से ज्यादा मामले महज 10 देशों से सामने आए हैं। संगठन के मुताबिक अफ्रीकी देशों देशों के अलावा पूर्वी यूरोप और मध्य और दक्षिण एशियाई देशों में भी कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यूएन महानिदेशक ने आगाह किया कि जिन देशों में हालात बेहतर होने के संकेत मिल रहे हैं उन्हें सतर्कता बरतनी आवश्यक है। उनके मुताबिक अब तक हुए शोध इस बात की गवाही दे रहे हैं कि विश्व आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी इस वायरस की चपेट से बाहर है इसलिए यहां पर लापरवाही भारी पड़ सकती है। यह समय अभी राहत की सांस लेने का नहीं है।
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