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USA ने चीन को याद दिलाई 31 साल पहले हुई नरसंहार की घटना, कहा- पीड़ितों का सम्मान करें

व्हाइट हाउस ने 1989 के तियानमेन चौक नरसंहार से जुड़ी घटनाओं के दौरान मारे गए हिरासत में लिए गए और लापता लोगों का पूर्ण ब्यौरा उपलब्ध कराने की चीन से अपील की है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 04:14 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 04:14 PM (IST)
USA ने चीन को याद दिलाई 31 साल पहले हुई नरसंहार की घटना, कहा- पीड़ितों का सम्मान करें
USA ने चीन को याद दिलाई 31 साल पहले हुई नरसंहार की घटना, कहा- पीड़ितों का सम्मान करें

वाशिंगटन, प्रेट्र। व्हाइट हाउस ने 1989 के तियानमेन चौक नरसंहार से जुड़ी घटनाओं के दौरान मारे गए, हिरासत में लिए गए और लापता लोगों का पूर्ण ब्यौरा उपलब्ध कराने की चीन से अपील की है। इतना ही नहीं उन्हें सम्मानित करने को भी कहा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैली मेकनैनी ने पूरी दुनिया के साथ ही नरसंहार की निंदा करते हुए गुरुवार को एक बयान में कहा, 'चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा निहत्थे चीनी असैन्य नागरिकों का नरसंहार ऐसी त्रासदी थी जिसे भुलाया नहीं जा सकता।

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उन्होंने कहा कि अमेरिकी लोग उन लाखों चीनी नागरिकों के साहस एवं आशावाद को दर्शाते हैं जो 31 साल पहले बड़े पैमाने पर फैले आधिकारिक भ्रष्टाचार के खिलाफ और अपने देश में अपनी बात रखने की मांग के साथ बीजिंग और पूरे चीन में शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र हुए थे।

मेकनैनी ने घटना की 31वीं वर्षगांठ पर कहा, 'अमेरिका चीन से चार जून,1989 को तियानमेन चौक नरसंहार से जुड़ी घटनाओं के दौरान मारे गए, हिरासत में लिए गए या लापता लोगों का सम्मान करने की अपील करता है।' इस स्मृति दिवस पर, अमेरिका के लोग चीन सरकार से मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा और चीन-भारत संयुक्त घोषणा के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की अपील करते हैं। साथ ही चीन के संविधान के तहत सभी चीनी नागरिकों को प्रदत्त अधिकार एवं स्वंतत्रता को बरकरार रखने और नस्ली एवं धाíमक अल्पसंख्यकों के सुव्यवस्थित दमन को समाप्त करने की अपील करते हैं।

प्रेस सचिव के इस बयान से एक दिन पहले विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने विदेश मंत्रालय में तियानमेन चौक नरसंहार के पीडि़तों से मुलाकात की थी। उधर, सीनेट की विदेश संबंधी समिति के एक दर्जन से अधिक प्रभावशाली सीनेटरों के एक द्विदलीय समूह ने कहा कि नरसंहार की 31वीं वर्षगांठ शोक मनाने का नहीं बल्कि कार्रवाई करने का समय है। बयान में कहा गया है कि हम यह सुनिश्चित करें कि हमारा देश ना केवल स्वतंत्रता का प्रबल पैरोकार है बल्कि हम लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता के लिए संघर्ष करने वालों के पक्ष में खड़े भी हैं।


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