Trump impeachment: क्या होगा आगे, बचेगी या जाएगी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की कुर्सी
Donald Trump के खिलाफ अमेरिकी संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) से महाभियोग का प्रस्ताव पास हुआ है। आइये जाने क्या होता है महाभियोग और क्या बचेगी ट्रंप की कुर्सी...
वाशिंगटन [जागरण स्पेशल]। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के इतिहास में तीसरे ऐसे राष्ट्रपति हैं जिनके खिलाफ हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (संसद के निचले सदन) से महाभियोग का प्रस्ताव पास हुआ है। ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के लिए निचले सदन में दो प्रस्ताव पेश किए गए थे। पहले में उन पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगा था जबकि दूसरे में उनके खिलाफ महाभियोग के मसले पर संसद के काम में बाधा डालने का आरोप लगाया गया था। पहला प्रस्ताव 197 के मुकाबले 230 मतों से जबकि दूसरा 198 के मुकाबले 229 मतों से पास हुआ। आइये जानते हैं अब इस मामले में आगे क्या होगा...
अब सीनेट में अग्निपरीक्षा
राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव अब सीनेट (उच्च सदन) में लाया जाएगा। सीनेट में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। 100 सीटों वाली सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के 53 सांसद जबकि विरोधी डेमोक्रेट पार्टी के 47 सांसद हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप को हटाने के लिए डेमोक्रेट्स को दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी जो उनके पास नहीं है। सीनेट में महाभियोग के प्रस्ताव को मंजूरी तभी मिलेगी जब ट्रंप के खिलाफ 67 सांसद मतदान करें। ऐसा ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन के 20 सांसदों की बगावत के बाद ही मुमकिन होगा। फिलहाल, इसकी आशंका नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स की अध्यक्षता में होगा ट्रायल
अमेरिका में नए साल के पहले महीने जनवरी की शुरुआत में अप्रत्याशित सियासी सरगर्मी देखने को मिल सकती है। यह वह समय होगा जब ट्रंप के खिलाफ सीनेट में ट्रायल शुरू होगा। सीनेट में यदि महाभियोग के पक्ष में दो तिहाई यानी 67 फीसद से ज्यादा वोट पड़ते हैं तो ट्रंप को अपना पद छोड़ना पड़ सकता है। समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक, अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स (US Chief Justice John Roberts) की अध्यक्षता में यह ट्रायल होगा। यह सुनवाई हफ्ते में छह दिन चलेगी। सीनेट छह हफ्तों तक चलती है।
क्या है महाभियोग
अमेरिका में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए संसदीय समितियों की जांच होती है। यदि जांच में राष्ट्रपति के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिलते हैं तो महाभियोग नहीं लाया जाता है। जांच में सबूतों के मिलने की स्थितियों में सबसे पहले निचले सदन में मतदान होता है। महाभियोग के पक्ष में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (संसद के निचले सदन) से बहुमत होने पर सीनेट में ट्रायल चलता है। सीनेट से मतदान में महाभियोग के पक्ष में यदि दो तिहाई वोट मिलते हैं तो राष्ट्रपति को पद छोड़ना पड़ता है। राष्ट्रपति के हटने के बाद उप राष्ट्रपति को संयुक्त राज्य यानी अमेरिका की कमान सौंपी जाती है।
पहले भी आ चुके हैं ऐसे प्रस्ताव
व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप उम्मीद करते है कि अब सीनेट सही ढंग से इस प्रक्रिया को पूरा करेगी। बीबीसी की रिपोर्ट की मानें तो सीनेट में यदि राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ अभियोग सिद्ध हो जाते हैं तो वह अमेरिका के इतिहास में महाभियोग की प्रक्रिया के चलते पद से हटाए जाने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे। अमेरिका के 151 साल के इतिहास में ट्रंप से पहले दो राष्ट्रपतियों- एंड्रयू जॉनसन और बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सीनेट तक पहुंचा था। हालांकि दोनों ही नेताओं को सीनेट में समर्थन मिला था और वे अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब हो गए थे।
सीनेट से इन राष्ट्रपतियों की बची है कुर्सी
साल 1868 में अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन के खिलाफ अपराध और दुराचार के आरोपों पर संसद के निचले सदन में महाभियोग का प्रस्ताव पास हुआ था। उनके खिलाफ संसद में आरोपों के 11 आर्टिकिल्स पेश किए गए थे। हालांकि, सीनेट में वोटिंग के दौरान जॉनसन के पक्ष नतीजा आया और वह पद बचाने में कामयाब रहे। साल 1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ भी महाभियोग लाया गया था। उन पर मोनिका लेवेंस्की के यौन उत्पीड़न के आरोप थे। उनके खिलाफ भी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव बहुमत आया था लेकिन सीनेट से मिले समर्थन के कारण उनकी कुर्सी बच गई थी।