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बृहस्पति के वायुमंडल में फैला हो सकता है पानी, जूनो स्पेसक्राफ्ट से जुटाए गए आंकड़ों का किया गया अध्ययन

अमेरिका में नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं के अनुसार सूर्य की तुलना में भी बृहस्पति बहुत शुष्क हो सकता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 09:12 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 09:20 PM (IST)
बृहस्पति के वायुमंडल में फैला हो सकता है पानी, जूनो स्पेसक्राफ्ट से जुटाए गए आंकड़ों का किया गया अध्ययन
बृहस्पति के वायुमंडल में फैला हो सकता है पानी, जूनो स्पेसक्राफ्ट से जुटाए गए आंकड़ों का किया गया अध्ययन

लास एंजिलिस, प्रेट्र। नासा के जूनो मिशन के आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर बताया है कि बृहस्पति के भूमध्य रेखा के आसपास के वायुमंडल के लगभग 0.25 प्रतिशत अणुओं का निर्माण पानी की वजह से होता है। नासा ने बृहस्पति के अध्ययन के लिए जूनो स्पेसक्राफ्ट को 2011 में लांच किया था। इस अध्ययन को नेचर एस्ट्रोनामी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। 1995 में गैलीलियो मिशन के बाद से इस गैसीय ग्रह पर पानी की प्रचुरता मिलने का पहला अध्ययन किया गया है।

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मौसम विज्ञान पर पड़ता है व्यापक प्रभाव

अमेरिका में नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं के अनुसार सूर्य की तुलना में भी बृहस्पति बहुत शुष्क हो सकता है। यह तुलना तरल दृव्य पर नहीं बल्कि उसके घटकों, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन की उपस्थिति पर आधारित है। उन्होंने कहा कि बृहस्पति संभवत: बनने वाला पहला ग्रह था और इसमें अधिकांश गैस और धूल शामिल है जो सूर्य में नहीं है। नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि इस ग्रह के बनने के समय जो भी तरल पानी बचा था उसे सोख लिया गया। पानी की प्रचुरता से इस गैसीय ग्रह की आंतरिक संरचना और मौसम विज्ञान पर बहुत ही व्यापक प्रभाव पड़ता है।

छह एंटीना का प्रयोग कर किया गया अध्ययन

अमेरिका में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में जूनो मिशन के प्रमुख अन्वेषक स्कॉट बोल्टन ने बताया कि जूनो की सबसे आश्चर्यजनक करने वाली खोज यह थी कि बृहस्पति में वायुमंडल अच्छी तरह से मिक्स नहीं है। किसी ने अनुमान नहीं लगाया था कि इस पूरे ग्रह पर पानी इतना परिवर्तनशील हो सकता है। नासा ने एक बयान में कहा कि जूनो के माइक्रोवेव रेडियोमीटर (एमडब्ल्यूआर) ने छह एंटीना का प्रयोग करके बृहस्पति का अध्ययन किया। इससे एक साथ कई गहराई पर वायुमंडलीय तापमान मापा जाता है। उन्होंने बताया कि एमडब्ल्यूआर से उत्सर्जित माइक्रोवेव विकिरण के कुछ तरंगदै‌र्घ्य को पानी अवशोषित करता है। बताया कि तापमान माप कर ग्रह के अंदर के वायुमंडल में पानी और अमोनिया की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। क्योंकि ये दोनों अणु माइक्रोवेव विकिरण को अवशोषित करते हैं।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए सबसे पहले बृहस्पति के भूमध्यरेखीय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया। क्योंकि वहां का वातावरण अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक अच्छी तरह मिश्रि्रत, गहराई पर भी दिखाई दिया।

बर्कले के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के जूनो वैज्ञानिक चेंग ली ने कहा, 'हमने भूमध्य रेखा में पानी को पिछले मिशन गलैलियो की तुलना में अधिक स्पष्ट तरीके से मापा है।' शोधकर्ताओं ने कहा कि अभी इन परिणामों को और बेहतर तरीके से परखा जा रहा है।


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