कोरोना संकट के बीच वैदिक मंत्रों से गूंजा व्हाइट हाउस; ओम शांति, शांति, शांति...
राष्ट्रीय प्रार्थना दिवस पर स्वामीनारायण मंदिर के पुरोहित ने अमेरिकी राष्ट्रपति भवन में कराया शांति पाठ।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका में राष्ट्रीय प्रार्थना दिवस पर राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में एक हिंदू पुरोहित ने पवित्र शांति पाठ कराया। कोरोना महामारी से प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कुशलता के लिए यह शांति पाठ किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आमंत्रण पर न्यूजर्सी के राबिंसविले स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर के पुरोहित हरीश ब्रह्मभट्ट प्रार्थना कराने के लिए अन्य धर्मो के विद्वानों के साथ व्हाइट हाउस पहुंचे थे। राबिंसविले स्थित स्वामीनारायण मंदिर भारत के बाहर इस संप्रदाय के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है।
शांति के लिए किया गया पाठ
संस्कृत में मंत्रोच्चार से पहले हरीश ब्रह्मभट्ट ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा, 'कोरोना के इस संकट काल में शारीरिक दूरी और लॉकडाउन से लोगों का चिंतित होना सामान्य बात नहीं है। शांति पाठ ऐसी प्रार्थना है, जो सांसारिक धन-दौलत, सफलता, प्रसिद्धि या स्वर्ग जाने जैसी किसी कामना के लिए नहीं की जाती। यह शांति के लिए की जाने वाली खूबसूरत हिंदू प्रार्थना है। यह वैदिक प्रार्थना है, जिसका वर्णन यजुर्वेद में किया गया है।' उन्होंने इसका अंग्रेजी में अनुवाद करके भी सुनाया। ब्रह्मभट्ट ने कहा, 'शांति के लिए प्रार्थना की आवाज स्वर्ग तक जाती है। आकाश और पृथ्वी में शांति हो, पानी में शांति हो, जड़ी-बूटियों और पेड़ों पर शांति हो। सभी फसलों में शांति हो। ओम शांति, शांति, शांति।'
राष्ट्रपति का आग्रह- जनता करे प्रार्थना
शांति पाठ खत्म होने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने हरीश ब्रह्मभट्ट का आभार जताया। उन्होंने कहा, इस समय अमेरिका बहुत ही भयानक बीमारी से से जंग लड़ रहा है। जब भी कोई संकट या चुनौती आई है तो हमारे लोगों ने आस्था, प्रार्थना की शक्ति और भगवान की अनंत महिमा में विश्वास जताया है। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सभी अमेरिकियों से आग्रह करता हूं कि वो दिल से प्रार्थना करें।‘
प्रथम महिला मेलानिया ने जताई संवेदना
अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने इस मौके पर उन लोगों के प्रति संवेदना जताई, जिन्होंने इस महामारी में अपने प्रियजनों को खो दिया है। उन्होंने कहा, 'आइए! हम उन लोगों के लिए प्रार्थना करें जो पीडि़त हैं, और जो अग्रिम मोर्चे पर सेवा कर रहे हैं। सबसे पहले 1863 में राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अमेरिकियों से सामूहिक प्रार्थना का आह्वान किया था। इसके बाद 1952 से हर राष्ट्रपति राष्ट्रीय प्रार्थना दिवस का आह्वान करता रहा है।
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