एचसीक्यू के इस्तेमाल से हो सकती हैं दिल से जुड़ी अनियमितताएं, पढ़ें अध्ययन में सामने आई बातें
कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मलेरिया के इलाज में प्रयोग की जाने वाली एचसीक्यू और एंटीबायोटिक दवा एजिथ्रोमाइसिन का एक साथ इस्तेमाल कोविड-19 के मरीजों पर किया जा सकता है।
न्यूयॉर्क, पीटीआइ। कोविड-19 के मरीजों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) और एजिथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल से दिल से जुड़ी अनियमितताएं हो सकती हैं। इलाज के दौरान ऐसे लोगों के दिल की धड़कनों पर लगातार नजर रखनी चाहिए। न्यूयॉर्क के एक केंद्र में 84 मरीजों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन को विज्ञान पत्रिका नेचर मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने बताया कि कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मलेरिया के इलाज में प्रयोग की जाने वाली एचसीक्यू और एंटीबायोटिक दवा एजिथ्रोमाइसिन का एक साथ इस्तेमाल कोविड-19 के मरीजों पर किया जा सकता है। हालांकि इन दोनों दवाओं के इस्तेमाल से दिल की धड़कनों में अनियमितता आ सकती है। इस कारण से अचानक दिल की धड़कनें रुकने और मौत का भी खतरा रहता है। अध्ययन में शामिल मरीजों की औसत आयु 63 वर्ष थी और इनमें 74 प्रतिशत पुरुष थे।
इन दवाओं के कारण दिल का क्यूटीसी इंटर्वल बढ़ने की भी आशंका रहती है। क्यूटीसी इंटर्वल वह समय है, जो धड़कनों के बीच होता है। इसके बढ़ने से दिल की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं। इस समस्या को एरिद्मिया कहा जाता है और अचानक दिल की धड़कनें रुकने यानी कार्डियक डेथ का भी खतरा रहता है। क्यूटीसी इंटर्वल को ईसीजी की मदद से मापा जा सकता है।
अमेरिकी दवा नियामक फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने भी एचसीक्यू के प्रमाणित दुष्प्रभावों को लेकर चेताया है। मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली इस दवा के कुछ दुष्पभाव पहले से ही ज्ञात हैं। एफडीए ने कहा है कि दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए यदि चिकित्सक यह दवा देते समय मरीजों पर पूरी निगरानी रखें तो इन दुष्प्रभावों को कम करना संभव हो सकता है।