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रूस के साथ परमाणु हथियार नियंत्रण समझौता खत्म करेगा अमेरिका: ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करीब तीन दशक पहले रूस के साथ हुए परमाणु हथियार नियंत्रण समझौते को जल्द खत्म करने का एलान किया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 04:32 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 08:00 PM (IST)
रूस के साथ परमाणु हथियार नियंत्रण समझौता खत्म करेगा अमेरिका: ट्रंप
रूस के साथ परमाणु हथियार नियंत्रण समझौता खत्म करेगा अमेरिका: ट्रंप

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करीब तीन दशक पहले रूस के साथ हुए परमाणु हथियार नियंत्रण समझौते को जल्द खत्म करने का एलान किया है। ट्रंप ने कहा कि इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज समझौते का रूस लगातार उल्लंघन कर रहा है। ऐसे में अमेरिका अकेले इसका भार नहीं ढो सकता।

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1987 में हुआ था समझौता
दोनों देशों के बीच 1987 में हुआ यह समझौता अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इस पर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और उनके रूसी समकक्ष मिखाइल गोर्बाच्योव ने दस्तखत किए थे।

क्‍या है संधि
इस समझौते के तहत दोनों देश सतह से दागी जाने वाली 500 से 5500 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइलों का निर्माण या परीक्षण नहीं कर सकते। लेकिन, कुछ वर्ष पहले रूस ने नोवाटर मिसाइल लांच की थी। अमेरिका का मानना है कि यह मिसाइल प्रतिबंधित रेंज वाली है।

अमेरिका ने जताया विरोध
इस मिसाइल को लेकर रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के अधिकारियों को आगाह करते हुए कहा था कि यदि रूस नोवाटर मिसाइल वापस नहीं लेता है तो इस समझौते को बरकरार नहीं रखा जा सकेगा।

बराक ओबामा पर भी निशाना
ट्रंप ने शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'हम इस समझौते को खत्म करने जा रहे हैं। सभी देश हथियार बना रहे हैं तो हमें भी उस रेंज के हथियार बनाने होंगे।' ट्रंप ने समझौते के उल्लंघन पर चुप्पी साधने के लिए पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि बराक ने समझौता क्यों नहीं तोड़ा? यदि चीन और रूस समझदारी दिखाकर ऐसे हथियार नहीं बनाने का समझौता करें तो मुझे खुशी होगी, लेकिन जब तक इसका उल्लंघन हो रहा है अमेरिका इसका अकेले पालन नहीं करेगा।'

रूस ने कहा, समझौता खत्म करना खतरनाक
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा है कि तीन दशक पहले हुई संधि से अमेरिका का बाहर निकलना खतरनाक कदम है। उन्होंने कहा, 'अमेरिका वैश्विक महाशक्ति बनने के लिए यह सब कर रहा है। मुझे उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके इस कदम की आलोचना होगी।'


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