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US की भारत समेत अन्‍य देशों को चेतावनी, वेनेजुएला से खरीदा तेल तो भुगतना होगा खमियाजा

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा है कि जो देश और जो कंपनियां वेनेजुएला से तेल खरीदेंगी-उन्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा। उन्हें माफ नहीं किया जाएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 11:49 AM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 11:49 AM (IST)
US की भारत समेत अन्‍य देशों को चेतावनी, वेनेजुएला से खरीदा तेल तो भुगतना होगा खमियाजा
US की भारत समेत अन्‍य देशों को चेतावनी, वेनेजुएला से खरीदा तेल तो भुगतना होगा खमियाजा

वाशिंगटन, प्रेट्र। वेनेजुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से हटा पाने में असफल रहा अमेरिका अब इस लैटिन अमेरिकी देश को आर्थिक रूप से बर्बाद करने की जुगत भिड़ा रहा है। अब उसने वेनेजुएला से तेल की खरीद न करने के लिए कहा है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा है कि जो देश और जो कंपनियां वेनेजुएला से तेल खरीदेंगी-उन्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा। उन्हें माफ नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत भी वेनेजुएला से तेल खरीदता है।

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बोल्टन ने यह चेतावनी मंगलवार को भारतीय शहर नोएडा में वेनेजुएला के तेल मंत्री के उस बयान के बाद दी है जिसमें कहा गया था प्रतिबंधों से प्रभावित उनका देश भारत को ज्यादा मात्रा में कच्चा तेल बेचना चाहता है। वेनेजुएला के तेल मंत्री मैनुएल क्यूवेडो वहां की सरकारी तेल कंपनी पीडीवीएसए के प्रमुख भी हैं। अमेरिका ने इस सरकारी कंपनी पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। इन प्रतिबंधों से वेनेजुएला की आर्थिक दशा चरमरा गई है।

दुनिया के बड़े तेल भंडार वाले देशों में वेनेजुएला भी शामिल है। वहां की अर्थव्यवस्था तेल पर आधारित है। अमेरिका लंबे समय से वहां की साम्यवादी सरकार को हटाना चाहता है। ग्रेटर नोएडा में हुई पेट्रोटेक कॉन्फ्रेंस से इतर पत्रकारों से बातचीत में वेनेजुएला के तेल मंत्री ने कहा था कि हमारे भारत के साथ अच्छे संबंध हैं। हम इन संबंधों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसके चलते हम सभी तरह का आपसी व्यापार भी बढ़ाना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे प्रमुख तेल उपभोक्ता देश है। क्यूवेडो की भारत यात्रा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार ने कहा, मादुरो और उनके लोग वेनेजुएला की प्राकृतिक संपदा की चोरी कर रहे हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अमेरिका वेनेजुएला के लोगों के अधिकारों और वहां की प्राकृतिक संपदा की रक्षा के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करेगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और उसके मित्र देशों के प्रतिबंध झेल रहा वेनेजुएला अब अपने तेल की ज्यादा मात्रा भारत और चीन को बेचना चाहता है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था में सुधार आ सके।

भारत पर असर

वेनेजुएला से तेल खरीदने के मामले में भारत शीर्ष देशों में से एक है। मादुरो की गलत नीतियों के चलते अब अमेरिका उसके तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहा है। पिछले साल मार्च में निकोलस मादुरो अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे। भारत ने वेनेजुएला के साथ हाइड्रोकार्बन सेक्टर में सहयोग के लिए द्विपक्षीय समझौता भी किया है। इसके अलावा वेनेजुएला के ऑयल क्षेत्र में भारत ने निवेश भी किया है। ऐसे में वहां पर गहराया आर्थिक और राजनीतिक संकट भारत-वेनेजुएला संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

ध्वस्त अर्थव्यवस्था

अथाह तेल वाले वेनेजुएला में आज लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। वहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। बेरोजगारी, अपराध और भूखमरी चरम पर है।

3 लाख तक पहुंची मुद्रास्फीति की दर

वेनेजुएला में मौजूदा समय में खराब होती अर्थव्‍यवस्‍था के बीच लोगों के पास या तो खाने का पैसा नहीं है या फिर इतने हैं कि उनसे वह कुछ खरीद नहीं पा रहे हैं। मौजूदा समय में यहां पर मामूली ब्रेड की कीमत भी सैकड़ों में चली गई है। बीते समय में कुछ जगहों पर खाने को लेकर भी संघर्ष साफतौर पर देखा गया है। वहीं बीते कुछ वर्षों के दौरान वेनेजुएला से लाखों लोग पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं। वेनेजुएला की सीमा पश्चिम में कोलंबिया, पूर्व में गुयाना और दक्षिण में ब्राजील से मिलती है।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात तेल भंडार है और यह तेल के दुनिया के अग्रणी निर्यातकों में से एक है। इसके बाद ही इसको 2017 तक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने दिवालिया घोषित कर दिया था। हाल ये है कि बीते वर्ष दिसंबर में यहां पर मुद्रास्‍फीति की दर करीब दस लाख फीसद तक पहुंच गई है। इसका अंदाजा अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने अगस्‍त में ही लगा लिया था। वर्तमान में यह 13 लाख फीसद है। दरअसल पिछले वर्ष अगस्‍त में राष्‍ट्रपति मादुरो ने देश की मुद्रा बोलवियर का नाम बदलकर 'सॉवरेन बोलवियर' कर दिया था। इसके अलावा इसका 95 फीसद अवमूल्यन भी किया गया था। इसके बाद से ही लगातार देश में मुद्रास्‍फीति की दर बेतहाशा बढ़ रही है।


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