हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से बढ़ा मरीजों की जान का खतरा, नए अध्ययन में खुलासा
मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साथ 1300 कोरोना वायरस रोगियों का इलाज किया है एक अध्ययन में सामने आया है कि इससे मृत्यु के खतरा बढ़ गए हैं।
वॉशिंगटन, रायटर। अमेरिका के वेटरन्स अफेयर्स (VA) विभाग ने शुक्रवार को सेनेरी डेमोक्रेट द्वारा जारी एक दस्तावेज के अनुसार, मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साथ 1,300 कोरोना वायरस रोगियों का इलाज किया है, एक अध्ययन में सामने आया है कि इससे मृत्यु के खतरा बढ़ गए हैं। सीनेट डेमोक्रेटिक लीडर चक शूमर, जिन्होंने वीए से इस मुद्दे पर पूछे गए सवालों के जवाब में जानकारी प्राप्त की, उन्होंने कहा कि वह डेटा से बहुत परेशान हैं।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लंबे समय से कोरोना वायरस के खिलाफ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग करने का आग्रह किया है और हाल ही में कहा कि वे इसे स्वयं ले रहे हैं, सबूत के बावजूद कि इसका उपचार हानिकारक हो सकता है। मेडिकल जर्नल लैंसेट में शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन ने COVID-19 के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों में मौत के बढ़ते खतरे को बढ़ा दिया है।
अप्रैल में विभाग के डॉक्टरों ने भी कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ने कोरोना वायरस COVID-19 रोगियों की मदद नहीं की और मृत्यु का अधिक खतरा पैदा हो सकता है। वीए, जो 9 मिलियन दिग्गजों को देखभाल प्रदान करता है, ने कहा कि लगभग 1,300 कोरोनोवायरस रोगियों को जो दवा प्राप्त करते हैं। वहीं, स्वास्थ्य के क्षेत्र में दुनियाभर के रिसर्च प्रकाशित करने वाली मशहूर पत्रिका द लैंसेट का कहना है कि कोविड-19 मरीजों के इलाज में मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल आने वाली दवा क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) से फायदा मिलने का कोई सबूत नहीं मिला है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी महीने की शुरुआत में भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर पाबंदी हटाने की मांग की थी।
जानकारी के लिए बता दें कि दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 46 लाख के पार पहुंच गई है। दुनियाभर में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश अमेरिका है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला चीन के वुहान शहर में आया था।