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US Troops Exit: अफगानिस्तान से 20 साल में बड़ी कीमत चुका बैरंग लौटा अमेरिका

US Troops Exit आखिरी सैनिक.. अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की पूर्ण वापसी हो गई है। इस कड़ी में काबुल हवाई अड्डे पर सी-17 विमान में सवार होते मेजर जनरल क्रिस डोनह्यू। वहां की जमीन छोड़ने वाले वह आखिरी अमेरिकी सैनिक बने। एपी

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 09:30 AM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 09:36 AM (IST)
US Troops Exit: अफगानिस्तान से 20 साल में बड़ी कीमत चुका बैरंग लौटा अमेरिका
150 लाख करोड़ खर्च किए अमेरिका ने 2001 से 2020 तक।

वाशिंगटन, एपी। US Troops Exit 2001 में 11 सितंबर को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले के हफ्तेभर बाद अल कायदा को खत्म करने और तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से बाहर करने से शुरू हुई जंग फिर तालिबान की सत्ता में वापसी के साथ ही खत्म हो गई। अंतिम परिणाम को देखे तो इस 20 साल के युद्ध में अरबों रुपये और सैकड़ों सैनिकों की जान गंवाकर भी अमेरिका खाली हाथ रह गया।

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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के केनेडी स्कूल की लिंडा बिल्मस और ब्राउन यूनिवर्सिटी ने इसका आकलन करने का प्रयास किया है कि इस युद्ध में अमेरिका ने क्या-क्या खोया। इस बीच, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेटे जूनियर ट्रंप का कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे में अमेरिका के करीब 85 अरब डालर के हथियार भी हैं।

अफगानिस्तान को हुए कुछ फायदे: दो दशक तक अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी और निगरानी से अफगानिस्तान को कुछ फायदे भी हुए। इस अवधि में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर करीब आधी रह गई। पढ़ने में सक्षम लड़कियों का प्रतिशत भी बढ़ा है और बिजली की उपलब्धता भी लगभग 98 प्रतिशत हो गई है। 2005 में मात्र 22 फीसद अफगानियों के पास बिजली की सुविधा उपलब्ध थी।

गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ तालिबान ने मनाया जश्न: अमेरिकी सेना के आखिरी विमानों के उड़ान भरते ही तालिबान ने गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ अपनी जीत का जश्न मनाया। अमेरिका के सी-17 विमान के रवाना होते ही तालिबानी हवाई अड्डे में प्रवेश कर गए और उसको नियंत्रण में ले लिया। तालिबान नेताओं ने मार्च निकाला। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि यह क्षण और यह दिन हमारे लिए ऐतिहासिक है। हम पूरी दुनिया से अच्छे संबंध रखना चाहते हैं।

तालिबान के सामने बड़ी चुनौती: हथियार के बल पर सत्ता पर काबिज होने वाले तालिबान के लिए सरकार चलाना आसान नहीं होगा। बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना उसके लिए बड़ी चुनौती है। तालिबान भी यह अच्छी तरह समझते हैं। इसलिए उसके शीर्ष नेता हेकमतुल्ला वासिक ने लोगों से काम पर लौटने की अपील की।

150 लाख करोड़ खर्च किए अमेरिका ने 2001 से 2020 तक। इसमें 2003 से 2011 के बीच इराक में युद्ध पर हुआ खर्च भी शामिल है। अफगानिस्तान व इराक से जुड़े करीब 40 लाख लोगों की सेहत व दिव्यांगता आदि के कारण आगे भी कई साल तक अरबों खर्च होने का अनुमान है।


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