ट्रंप ने तालिबान को किया खबरदार किया, अगर अफगानिस्तान में हिंसा जारी रही तो सजा भुगतने को तैयार रहें
ट्रंप ने अफगानिस्तान में तालिबान को खबरदार करते हुए कहा है कि अगर तालिबान के आतंकवादियों द्वारा हिंसा जारी रही तो कार्रवाई के लिए तैयार रहेंं।
काबुल, एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में तालिबान को खबरदार करते हुए कहा है कि अगर तालिबान के आतंकवादियों द्वारा हिंसा जारी रही तो कार्रवाई के लिए तैयार रहेंं। ट्रंप का बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में जारी हिंसा को रोकने के लिए सभी पक्षों के साथ बैठक कर एक राजनीतिक समाधान और सुलह की अपील की थी। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा शांति की इस पहल के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने यह संकेत दिए हैं। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के प्रवक्ता सन्नी लेगेट ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद को दो पन्नों का पत्र भेजा। अमेरिकी पक्ष के अनुसार सभी दलों को संघर्ष के लिए राजनीतिक समाधान के रास्ता खोजना चाहिए। इस पत्र में अफगानों को देश के भविष्य पर चर्चा करने के लिए आग्रह किय गया है। हम आपको बताते हैं आखिर क्या है इस फसाद की बड़ी वजह।
तालिबान लड़ाकों की रिहाई की बात अफगान सरकार और तालिबान में ठनी
आपको यहां पर बता दें कि 29 फरवरी को तालिबान और अमेरिका के बीच 18 माह लंबी शांति वार्ता के बाद समझौता हुआ था। इसी समझौते में तालिबान लड़ाकों की रिहाई की बात भी कही गई थी। लेकिन शुरुआत से ही अफगान सरकार समझौते में शामिल इस बिंदु पर नाराज थी। अफगान राष्ट्रपति का कहना था कि इस समझौते में तालिबान कैदियों की रिहाई को लेकर कुछ नहीं है। न ही ये बिना अफगान सरकार से बातचीत के हो सकता है। लेकिन उनकी बड़ी समस्या ये भी थी कि इस शांति वार्ता में अफगान सरकार को शामिल ही नहीं किया गया था।बता दें कि समझौते के एक सप्ताह बाद ही तालिबान ने अफगान सरकार के ठिकानों पर जबरदस्त हमला किया था। इसके बाद अमेरिका ने भी तालिबान पर हवाई हमला किया था। मंगलवार को ही तालिबान ने गोर प्रांत में हमला कर 11 अफगान सैनिकों को मार गिराया था। ऐसे में अफगान सरकार और तालिबान के बीच वार्ता पर संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं।
फरवरी 2020 में कतर में अमेरिका और तालिबान ने ऐतिहासिक समझौता
बता दें कि फरवरी 2020 में अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए कतर में अमेरिका और तालिबान ने ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के साथ अफगानिस्तान में सबसे लंबे अमेरिकी युद्ध का अंत हो गया था। अमेरिका के साथ ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर के लिए 31 सदस्यीय तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने कतर में हिस्सा लिया था। बता दें कि दोनों पक्षों के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर कतर की राजधानी दोहा में हुआ था।
9/11 के हमले के बाद 2001 में अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान
गौरतलब है कि 9/11 के हमले के बाद 2001 में अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ जंग के लिए अपने सैनिक अफगानिस्तान भेजे थे। लंबी लड़ाई में अब तक 3500 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो चुकी है और अब अमेरिका अफगानिस्तान से अपने सैनिक वापस बुलाना चाहता है। शांति समझौते को लेकर सहमति बनने के बाद 19 साल लंबे चले संघर्ष के बाद भी अमेरिका तालिबान को खत्म नहीं कर पाया। बता दें कि इस समझौते के बाद यह तय हो गया था कि यदि स्थितियां सही रहीं तो अमेरिकी सैनिक 14 महीने के अंदर वापस अपने देश चले जाएंगे। बता दें कि वहां आठ हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।