UNHRC में चीन को मिली प्रीमियर सदस्यता पर अमेरिका बिफरा, UN पर किया हमला
UNHRC में चीन संयुक्त राष्ट्र के प्रीमियर मानवाधिकार निकाय (United Nations Human Rights Council UNHRC) की सदस्यता हासिल करने में कामयाब हो गया हैलेकिन इससे यूएस खासा नाराज आ नजर रहा है। यूएस ने इस पर यूएन पर हमला बोला।
वाशिंगटन, एएनआइ। UNHRC में चीन संयुक्त राष्ट्र के प्रीमियर मानवाधिकार निकाय (United Nations Human Rights Council, UNHRC) की सदस्यता हासिल करने में कामयाब हो गया है,लेकिन इससे यूएस खासा नाराज नजर आ रहा है। यूएस ने इस पर यूएन पर हमला बोला। सयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार का यूएन में चीन को संयुक्त राष्ट्र के प्रीमियर मानवाधिकार निकाय (United Nations Human Rights Council, UNHRC) की सदस्यता हासिल करने पर एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि इस निकाय में चीन, रूस और क्यूबा को शामिल किया है। विदेश में मंत्री ने कहा कि यूएस काउंसिल के फैसले का विरोध करता है,जो कि मान्य है।
पोम्पियो ने बयान में वैश्विक मानव अधिकार परिषद पर "इजरायल विरोधी पूर्वाग्रह (anti-Israel bias) और सदस्यता नियमों का आरोप लगाया, जो परिषद पर सीटों के लिए दुनिया के सबसे खराब मानव अधिकारों के दुरुपयोग की अनुमति देता है।"
गौरतलब है कि चीन, रूस और क्यूबा संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council, HRC) की सदस्यता
हासिल की है। वहीं इस रेस में सऊदी अरब शामिल नहीं हो सका। इस दौड़ में 193 सदस्यीय यू.एन. महासभा में गुप्त मतदान में, पाकिस्तान को 169 मत मिले, उज्बेकिस्तान को 164, नेपाल को 150, चीन को 139 और सऊदी अरब को मात्र 90 मत मिले।सऊदी अरब द्वारा घोषित सुधार योजनाओं के बावजूद, ह्यूमन राइट्स वॉच और अन्यों ने इसकी उम्मीदवारी का कड़ा विरोध जताया है। उनका मानना है कि मध्य पूर्व राष्ट्र मानवाधिकार
रक्षकों, असंतुष्टों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाता रहा है। क्योंकि उन्होंने पिछले दुर्व्यवहारों के लिए बहुत कम जवाबदेही का प्रदर्शन किया है, जिसमें वाशिंगटन पोस्ट के लेखक की हत्या और दो साल पहले इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में सऊदी के पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या भी शामिल है।
बता दें कि नेपाल को मानवाधिकार परिषद के सदस्य के तौर पर दोबारा जगह मिल गई है। इस संबंध में नेपाल विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी रिलीज में बताया गया, 'जनवरी 2018 से परिषद के सदस्य के तौर पर काम करने वाले नेपाल का चुनाव दोबारा 150 वोटों से किया गया है। इसके बाद अब नेपाल और तीन साल 2021-2023 तक परिषद के सदस्य के तौर पर काम करेगा।'