अमेरिका ने भारत-ब्रिटेन नीत सौर ग्रीन ग्रिड पहल का किया समर्थन, पीएम मोदी ने की थी शुरुआत
अमेरिका ने ग्लासगो में सीओपी-26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में वैश्विक ऊर्जा ग्रिड से संबद्ध ब्रिटेन एवं भारत के नेतृत्व वाले ग्रीन ग्रिड पहल के साथ हाथ मिलाया है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। पढ़ें यह रिपोर्ट...
लंदन, पीटीआइ। अमेरिका ने ग्लासगो में सीओपी-26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में वैश्विक ऊर्जा ग्रिड से संबद्ध ब्रिटेन एवं भारत के नेतृत्व वाले ग्रीन ग्रिड पहल के साथ हाथ मिलाया है जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। बीते सप्ताह के प्रारंभ में ग्रीन ग्रिड पहल- 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' (जीजीआइ-ओएस ओडब्ल्यूओजी) की संचालन समिति की बैठक में अमेरिका की ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रानहोम ने कहा कि अमेरिका जलवायु वार्ता में वापस लौटने एवं नई पहल से जुड़ने पर रोमांचित है।
जेनिफर ग्रानहोम ने कहा, 'साल में मानवजाति जितनी ऊर्जा इस्तेमाल करती है वह उस ऊर्जा के बराबर है जो एक घंटे में सूर्य से धरती पर पहुंचती है।' उन्होंने कहा, 'जीजीआइ -ओएसओडब्ल्यूओजी इस पहेली के दो अहम तत्वों पर ध्यान दे रहा है। अमेरिका के ऊर्जा विभाग में हम जीजीआई -ओएसओडब्ल्यूओजी के साथ साझेदारी करने को लेकर खुश हैं।'
भारत की अध्यक्षता में 'इंटरनेशनल सोलर एलायंस' तथा ब्रिटेन की अध्यक्षता में सीओपी 26 ने मंगलवार को विश्व सम्मेलन के दौरान जीजीआइ -ओएसओडब्ल्यूओजी की शुरुआत की।
जीजीआइ-ओएसओडब्ल्यूओजी की संचालन समिति में भारत और ब्रिटेन के अलावा अमेरिका, आस्ट्रेलिया एवं फ्रांस हैं और उसने 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' का सपना साकार करने को ठाना है जिसके तहत 80 देशों ने ' वन सन डिक्लयरेशन' पर मुहर लगाते हुए आपस में एक दूसरे से जुड़े ग्रिडों के निर्माण के लिए मिलकर प्रयास करने का निश्चय किया है।
सोमवार एवं मंगलवार को ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन प्रारूप संधिपत्र सम्मेलन के नेता-स्तरीय कार्यक्रम होंगे। इसके बाद हर देश के प्रतिनिधि एवं अधिकारी 12 नवंबर को सम्मेलन के समापन तक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आगे के मार्ग को अंतिम रूप देने की खातिर बैठकें करेंगे।
भारतीय दल में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव एवं मुख्य वार्ताकार ऋचा शर्मा हैं। यादव ने कहा, 'धरती को बचाने के लिए हमें सूर्य की ओर लौटना चाहिए। दुनिया आर्थिक एवं सामाजिक रूप से जिस तरह नई ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए बढ़ रही है, उसे सौर ऊर्जा ही ताकत देगी।'