'न जहाज बनाए और सेमीकंडक्टर', स्कॉट बेसेंट ने H1 VISA पर अमेरिका को लेकर कही बड़ी बात
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के एच1बी वीजा पर नरमी के संकेत के बाद, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि ट्रंप चाहते हैं कि विदेशी कुशल कामगार अमेरिकियों को प्रशिक्षित करें और फिर वापस चले जाएं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में जहाज निर्माण और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता की कमी है। बेसेंट ने 'अमेरिका फर्स्ट' नीति पर जोर दिया और कहा कि विदेशी विशेषज्ञों को अस्थायी रूप से अमेरिकी कामगारों को प्रशिक्षित करने के लिए बुलाया जाएगा।

अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक दिन पूर्व ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एच1बी वीजा पर नरमी के संकेत दिए थे, लेकिन अगले ही दिन वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने इसके पीछे की मंशा को स्पष्ट कर दिया। बेसेंट ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप दरअसल ये कहना चाहते थे कि विदेशी कुशल कामगार यहां आकर अमेरिकियों को प्रशिक्षित करें और उसके बाद अपने-अपने देश लौट जाएं।
एक न्यूज चैनल से बातचीत में बेसेंट ने कहा कि राष्ट्रपति का विजन ये है कि लोग यहां आएं, तीन, पांच या सात साल तक यहां रहें, अमेरिकियों को प्रशिक्षित करें। क्योंकि हमारे पास लंबे समय से दक्षता नहीं है। हमने 20-30 साल पहले ही जहाज निर्माण या सेमीकंडक्टर तैयार करने की नौकरियां दूसरे देशों में भेज दी थीं।
बेसेंट ने क्यों कही यह बात?
उन्होंने कहा कि अब हम अचानक किसी से नहीं कह सकते कि आपको पानी का जहाज बनाना सीखना होगा। हम सेमीकंडक्टर उद्योग को वापस अमेरिका लाना चाहते हैं। हमने वर्षों से जहाज नहीं बनाए हैं, न सेमीकंडक्टर तैयार किए हैं।
लागू रहेगी अमेरिका फर्स्ट की नीति
बेसेंट ने कहा कि प्रशासन अमेरिकियों को रोजगार में प्राथमिकता के प्रति दृढ़ है, लेकिन ये भी महसूस किया जा रहा है कि रक्षा, जहाज निर्माण और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ विदेशी प्रतिभा की तत्काल जरूरत है। इस क्षेत्र में स्वदेशी पकड़ बनाने में समय लगेगा।
इसके तहत तीन, पांच या सात साल तक के लिए विदेशी विशेषज्ञों को यहां आकर अमेरिकी कामगारों को प्रशिक्षित करना होगा। जब अमेरिकी नागरिक पूरी तरह से चीजें अपने हाथ में ले लेंगे, उसके बाद वीजा धारक स्वदेश लौट सकते हैं।
व्हाइट हाउस ने भी स्पष्ट की ट्रंप की बात व्हाइट हाउस ने कहा कि प्रशासन वीजा प्रणाली में कथित दुरुपयोगों पर कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक्स पर व्हाइट हाउस प्रवक्ता टेलर रोजर्स के हवाले से लिखा कि प्रशासन ''आव्रजन प्रणाली में सुधार'' के लिए प्रतिबद्ध है।
रोजर्स ने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने रिकार्ड समय में हमारे आव्रजन कानूनों को सख्त किया है और अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता सुनिश्चित की है। वहीं अमेरिका के गृह मंत्री क्रिस्टी नोएम ने कहा कि अमेरिका का वीजा कार्यक्रम बना रहेगा।
नोएम ने फॉक्स न्यूज को एक इंटरव्यू में कहा कि वीजा पर आनेवाले लोगों के पास उचित वजहें होनी चाहिए। इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। वे किसी आतंकी या घृणा फैलानेवाले संगठनों के समर्थक नहीं होने चाहिए।
एच1बी वीजा पर ट्रंप ने लिया था यू-टर्न
एक साक्षात्कार के दौरान ट्रंप ने एच1बी वीजा पर आनेवाले प्रवासी कामगारों की विशेषज्ञता का बचाव करते हुए कहा था कि अमेरिका को दुनियाभर से प्रतिभाशालियों की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि हमारे पास कुछ क्षेत्रों में प्रतिभा की कमी है। हम बेरोजगारों की लाइन से लोगों को चुनकर अचानक नहीं कह सकते कि हम आपको एक फैक्ट्री में काम देने जा रहे हैं और आपको मिसाइल बनानी होगी।
ट्रंप ने कहा कि जॉर्जिया में छापा मारा गया क्योंकि वहां अवैध अप्रवासियों के बारे में सूचना मिली थी। ट्रंप की सख्ती से मचा था हाहाकार ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा कार्यक्रम के दुरुपयोग को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था। सितंबर में ट्रंप ने वीजा कार्यक्रम में सुधार के नाम पर सख्ती बढ़ाते हुए कुछ गैर अप्रवासी कामगारों के प्रवेश पर प्रतिबंध शीर्षक से एक घोषणा जारी की थी।
घोषणा के तहत 21 सितंबर 2025 के बाद से अमेरिका में एच1बी वीजा चाहनेवालों के लिए एक लाख डॉलर की फीस तय कर दी गई थी। लोगों में हड़कंप मच गया था। ट्रंप प्रशासन ने इस वीजा के दुरुपयोग की जांच के लिए 175 जांच शुरू कराई थीं।
ट्रंप की सख्ती का सबसे बुरा असर भारतीयों पर पड़ा था क्योंकि इस योजना के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय कुशल कामगार ही हैं। साल 2024 में एच1बी वीजा पर अमेरिका जानेवाले विदेशियों में 70 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय थे।
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