अमेरिकी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को चीन से खतरा, कहा- अत्याधुनिक AI तकनीक पर काम कर रहा ड्रैगन
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में वहां की सरकार 2025 तक अत्याधुनिक तकनीक क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है। जबकि अमेरिका का आरोप है कि वह यह क्षमता अमेरिकी बौद्धिक संपदा की चोरी करके प्राप्त करना चाह रहा है।
वाशिंगटन, एपी। चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) की अत्याधुनिक तकनीक पर तेजी से कार्य कर रहा है। इससे उसके सैन्य क्षेत्र में अमेरिका से निर्णायक बढ़त पाने का खतरा पैदा हो गया है। इतना ही नहीं इस अत्याधुनिक तकनीक से वह स्वास्थ्य सुविधाओं और अन्य खास क्षेत्रों में अमेरिका को पीछे छोड़ सकता है। इस खतरे से अमेरिका के खुफिया अधिकारियों ने आगाह किया है।
खुफिया अधिकारियों ने यह चेतावनी कारोबार जगत के शीर्ष अधिकारियों, नामचीन शिक्षण संस्थानों और प्रांतीय सरकार के अधिकारियों को दी है। बताया है कि चीन से होने वाले निवेश से सावधान रहने की जरूरत है। खुफिया अधिकारियों ने चीनी पूंजीनिवेश को अस्वीकार करने के लिए नहीं कहा है। लेकिन यह सलाह दी है कि यह निवेश बौद्धिक संपदा को सुरक्षित रखते हुए सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए स्वीकार किया जाए। बाइडन प्रशासन के नेतृत्व में अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों ने चीन के खिलाफ जनता को जागरूक करने का आक्रामक अभियान छेड़ा हुआ है। इसके तहत चीन की ओर से आने वाले खतरों से आगाह किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इन खतरों से किस तरह से बचाव किया जा सकता है।
कुछ खुफिया अधिकारी इसे अमेरिका के लिए सबसे गंभीर रणनीतिक खतरा मान रहे हैं। इसी के साथ बाइडन प्रशासन चीन के साथ तनाव को कम करने में भी लगा हुआ है। यह तनाव ट्रंप प्रशासन के समय से बना हुआ है। अमेरिका चाह रहा है कि दोनों देश कुछ क्षेत्रों में मिलकर कार्य करें जिससे आपसी कटुता कम हो। साथ काम करने के लिए ये क्षेत्र व्यापार और पर्यावरण सुधार के हो सकते हैं। लेकिन चीन अमेरिका पर लगातार भय का वातावरण बनाने का आरोप लगा रहा है।
चीन का कहना है कि अमेरिकी खुफिया अधिकारी चीन के आकलन में गलती कर रहे हैं और वे चीन को एक खतरे के रूप में दर्शा रहे हैं। कोरोना वायरस से पैदा हुई महामारी को लेकर भी इसी प्रकार से उसके खिलाफ दुनिया भर में गलत प्रचार किया गया। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में वहां की सरकार 2025 तक अत्याधुनिक तकनीक क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है। जबकि अमेरिका का आरोप है कि वह यह क्षमता अमेरिकी बौद्धिक संपदा की चोरी करके प्राप्त करना चाह रहा है।