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US Presidential Election: Google ने झूठ फैलाने वाले चीन के तीन हजार यूट्यूब चैनलों को बंद किया

यूट्यूब चैनलों पर गूगल की काफी समय से नजर थी। इन अकांउट पर कार्रवाई जुलाई से सितम्बर के बीच की गई। गूगल का कहना है यूट्यूब चैनलों पर डाले गए वीडियो की पहुंच बहुत सीमित थी और ज्यादातर दस से ज्यादा बार ही देखे गए थे।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 02:56 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 02:56 PM (IST)
US Presidential Election: Google ने झूठ फैलाने वाले चीन के तीन हजार यूट्यूब चैनलों को बंद किया
झूठ फैलाने वाले चीन के तीन हजार यूट्यूब चैनल गूगल ने बंद किए

सेन फ्रांसिस्को, आइएएनएस। चीन दुनिया भर में सोशल मीडिया के माध्यम से झूठ फैला रहा है। इस षड़यंत्र का खुलासा गूगल कंपनी ने करते हुए फेक न्यूज फैलाने वाले तीन हजार यूट्यूब चैनल बंद कर दिए। यूट्यूब पर डाले गए वीडियो के लिंक ट्विटर पर भी शेयर किए जा रहे थे। ज्ञात हो कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं और उन संदर्भो में इनका पकड़ा जाना महत्वपूर्ण है। गूगल ने इन चैनल के नामों के बारे में जानकारी देने से इन्कार किया है।

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यूट्यूब चैनलों पर गूगल की काफी समय से नजर थी। इन अकांउट पर कार्रवाई जुलाई से सितम्बर के बीच की गई। गूगल का कहना है, यूट्यूब चैनलों पर डाले गए वीडियो की पहुंच बहुत सीमित थी और ज्यादातर दस से ज्यादा बार ही देखे गए थे। इन चैनलों पर डाले जाने वाली ज्यादातर सामग्री भी झूठी है। हमने जब इन वीडियो को देखने वालों के अकाउंट की जांच की तो वो भी फर्जी निकले हैं। इतनी बड़ी संख्या में चल रहे यूट्यूब चैनलों का मकसद क्या था, अभी ये पूरी तरह साफ नहीं हुआ है।

गूगल के थ्रेट अनलिसिस ग्रुप (टीएजी) ने ये कार्रवाई की है। ग्रुप के शेन हंटले ने बताया, इन चैनलों पर जानवर, संगीत, खेल के साथ ही दुनिया में चल रहे घटनाक्रम के भी वीडियो हैं। हांगकांग के घटनाक्रम और कोविड 19 के बारे में डाले गए वीडियो चीनी भाषा और सब-टाइटल अंग्रेजी में हैं। डाले गए वीडियो की पहुंच सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर भी बनी हुई थी।

उल्लेखनीय है कि जून माह में गूगल ने जो बिडेन और ट्रंप के अभियान से संबंधित ई-मेल में सेंध लगाने के मामले पकड़े थे। गूगल के अधिकारी ने बताया, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए हमारी ऐसी सभी नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर नजर है। इनमें से ज्यादातर चीन और उत्तरी कोरिया के ग्रुप संचालित कर रहे हैं। पूर्व में दूसरे देशों में कोरोना को लेकर बन रही वैक्सीन के अनुसंधान, दवाई कंपनियों के कंप्यूटरों को भी निशाना बनाने की कोशिश की की जा चुकी है।


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