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यूं ही नहीं जागा राष्‍ट्रपति ट्रंप का तुर्की के प्रति अगाध प्रेम, ये है इसकी बड़ी वजहें

तुर्की के प्रति वाशिंगटन ने यह नरम रवैया क्‍यों अपनाया। क्‍या तुर्की अमेरिका के अनुकूल हो गया है या फ‍िर कोई अन्‍य वजहें हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 02:44 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 03:05 PM (IST)
यूं ही नहीं जागा राष्‍ट्रपति ट्रंप का तुर्की के प्रति अगाध प्रेम, ये है इसकी बड़ी वजहें
यूं ही नहीं जागा राष्‍ट्रपति ट्रंप का तुर्की के प्रति अगाध प्रेम, ये है इसकी बड़ी वजहें

वाशिंगटन, एजेंसी। तुर्की राष्‍ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से फोन पर बात करना और अमेरिका जाने के लिए हामी भरना कई सवाल खड़े करता है। कल तक तुर्की अमेरिका का जानी दुश्‍मन था। ऐसे में अमेरिकी नीतियों को लेकर कई सवाल एक साथ कई प्रश्‍न खड़ा करते हैं। पहला , वाशिंगटन की नीतियों में यह बदलाव क्‍यों आया। तुर्की के प्रति वाशिंगटन ने यह नरम रवैया क्‍यों अपनाया। क्‍या तुर्की अमेरिका के अनुकूल हो गया है या फ‍िर कोई अन्‍य वजहें हैं। अमेरिका को यह अहसास हो गया है कि बिना तुर्की के अनुकूल हुए उत्‍तर सीरिया से अमेरिकी सेनाओं को नहीं हटाया जा सकता है। 

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तुर्की के प्रति अमेरिकी रुख में बदलाव अनायास नहीं 

तुर्की को लेकर अमेरिका के दृष्टिकोंण में यह बदलाव अनायास नहीं है। दरअलस, उत्‍तर सीरिया से अमेरिका की नीतियों में काफी बदलाव आया है। उत्‍तर सी‍रिया से अमेरिका अपने सैनिकों को पूरी तरह से हटाना चाहता है। अमेरिका यह जान चुका है कि तुर्की को बिना पक्ष में लिए उत्‍तर सीरिया से अमेरिकी सैनिकों का वहां से हटाना असंभव है। हाल में तुर्की को समझाने कर हर प्रयास विफल रहा। अमेरिका ने तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए। इतना ही नहीं अमेरिका ने युद्ध की धमकी दी। ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया था कि तुर्की बाज नहीं आया तो भूगोल से उसका अस्त्तिव ही समाप्‍त हो जाएगा। ट्रंप प्रशासन को यह जल्‍द समझ में आ गया कि तुर्की पर मौजूदा अमेरिकी फाॅर्मूला काम करने वाला नहीं है। उसके आर्थिक प्रतिबंध और सैन्‍य धमकी बेअसर रही। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने अपनी नीतियों में बदलाव आया। 

बेअसर रही थी अमेरिकी उपराष्‍ट्रपति की तुर्की यात्रा

19 अक्‍टूबर को सीरिया में संघर्ष विराम को लेकर अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने तुर्की की यात्रा की थी। उनकी इस यात्रा का लक्ष्‍य उत्‍तरी सीरिया में तुर्की हमले को रोकना था। यह यात्रा ऐसे समय हुई थी, जब तुर्की ने यूरोप और अमेरिका के आग्रह को दरकिनार करते हुए उत्‍तर सीरिया में कुर्द पर अपने हमले जारी रखे हुए था। उपराष्‍ट्रपति ने तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन से मुलाकात कर शांति के लिए आग्रह भी किया था लेकिन उनकी यात्रा के कुछ घंटे ही बीते थे कि तुर्की ने उत्‍तर सीरिया पर फ‍िर हमला बोल दिया। अमेरिका का यह प्रयास भी निष्‍फल रहा। 

ट्रंप का कठोर पत्र भी बेकार साबित हुआ

उत्‍तर सीरिया में शांति के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुर्की के समकक्ष रेसेप तैयब एर्दोगन को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी। उन्‍होंने लिखा कि 'मूर्ख मत बनो.. होश में आ जाओ.. वरना सजा भुगतने को तैयार रहो।' ट्रंप ने तुर्की के राष्‍ट्रपति को उस वक्‍त खत लिखा है जब रूस के राष्‍ट्रपति ब्‍लादिमीर पुतिन ने फोन करके एर्दोगन को सीरिया संघर्ष सुलझाने की नसीहत दी थी। इस बाबत उन्‍होंने मॉस्‍को आने का न्‍योता भी दिया था। लेकिन शांति के लिए यह पत्र भी निष्‍फल रहा।

अमेरिका ने किया अपने दृष्टिकोण में बदलाव  

अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा कि उनके तुर्की समकक्ष राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने 13 नवंबर को वाशिंगटन आने का उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। उन्होंने आगे कहा कि वह तुर्की समकक्ष से मिलने के लिए उत्सुक है। राष्ट्रपति ट्रंप ने तुर्की के राष्ट्रपति के साथ फोन पर बातचीत की उसके बाद उनके व्हाइट हाउस आने का एलान किया। दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हुई। दरअसल, तुर्की ने इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बकर अल बगदादी की पत्नी को पकड़ने का दावा किया था। इसके बाद ही दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई है। बुधवार को दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने आईएसआईएस आतंकवादियों के खिलाफ तुर्की द्वारा की गई कार्रवाइयों पर चर्चा की। 


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