पाकिस्तान चाहता है अफगानिस्तान में कमजोर सरकार, अमेरिकी संसद की रिपोर्ट में खुलासा
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में कमजोर सरकार चाहता है जिससे कि वह अशांत और अव्यवस्थित बना रहे। ऐसे में पाकिस्तान के लिए वहां पर दखलंदाजी की गुंजाइश बनी रहेगी।
वाशिंगटन, प्रेट्र। पाकिस्तान दशकों से अफगानिस्तान में सक्रिय लेकिन नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। इसी के चलते वह अफगानिस्तान में कमजोर सरकार चाहता है। नहीं चाहता कि पड़ोसी देश मजबूत और स्थिर बने। यह बात अमेरिकी संसद की ताजा रिपोर्ट में कही गई है।
अमेरिकी संसद की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष शोध संस्था (सीआरएस) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान का सबसे प्रमुख पड़ोसी है, लेकिन वह उसके खिलाफ दशकों से नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। पाकिस्तान के सुरक्षा बलों के अफगानिस्तान के आतंकी संगठनों से संबंध हैं, खासतौर से हक्कानी नेटवर्क जिसे अमेरिका ने विदेशी आतंकी संगठन (एफटीओ) घोषित कर रखा है। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अमेरिका से लड़ने वाले आतंकियों को पाकिस्तान द्वारा शरण देने का आरोप लगा चुके हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में कमजोर सरकार चाहता है जिससे कि वह अशांत और अव्यवस्थित बना रहे। ऐसे में पाकिस्तान के लिए वहां पर दखलंदाजी की गुंजाइश बनी रहेगी। ऐसा नहीं कि अफगानिस्तान में अशांति का असर पाकिस्तान पर नहीं पड़ रहा। वह (पाकिस्तान) भी इस्लामी आतंकवाद की चपेट में आ गया है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शरणार्थियों को लेकर भविष्य में तनातनी होने की आशंका है क्योंकि अशांति अफगानिस्तान से सीमा पार कर लोगों का पाकिस्तान में आना आसान है। दोनों देशों के बीच 1,600 किलोमीटर लंबी सीमा है।
भारत से आशंकित रहती है पाक सेना
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सेना भारत की रणनीतिक घेराबंदी से हमेशा आशंकित रहती है। उसे अफगानिस्तान में भारत की मजबूती परेशान करती है। पाकिस्तान के तालिबान समर्थन का एक बड़ा कारण यह भी है कि वह तालिबान में भारत विरोधी सोच देखता है।