चीन के साथ संबंधों में ताइवान को समस्या नहीं मानता है अमेरिका, यूएस डिप्लोमैट का बड़ा बयान
अमेरिकी डिप्लोमैट ने कहा है कि अमेरिका के लिए ताइवान एक ऐसा मौका है जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को मुक्त बनाने में उसकी मदद कर सकता है। वो ताइवान को चीन से संबंधोंं में रोड़ा भी नहीं मानता है।
ताइपे (रॉयटर्स)। अमेरिका चीन के साथ बेहतर संबंधों को स्थापित करने में ताइवान को किसी समस्या की तरफ से नहीं देखता है। इसके उलट वो ताइवान को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को सभी के लिए मुक्त करने की राह में एक सहयोगी के रूप में देखता है। ये कहना है कि अमेरिकी डिप्लोमैट का, जिन्होंने ताइवान की राजधानी ताइपे में ये बयान दिया है। दुनिया के कई अन्य देशों की ही तरह अमेरिका के भी ताइवान से किसी तरह के राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध नहीं है। इसके बावजूद अमेरिका ताइवान को एक देश के तौर पर ही पूरी अहमियत देता है। चीन को साधने के लिए उसको ताइवान की जरूरत महसूस होती है। यही वजह है कि अमेरिका की निगाह में ताइवान की रणनीतिक अहमियत भी काफी अधिक है।
ताइवान को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की नीति भी बेहद साफ है। इस मामले में वो काफी कुछ अपने पूर्व के नेता के ही नीति पर आगे बढ़ रहे हैं। बता दें कि चीन हमेशा से ही ताइवान को अपना हिस्सा बताता आया है और इसकी वजह से उसका ताइवान के साथ विवाद भी है। वहीं, ताइवान खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप मानता है।
ताइवान स्थित डे फेक्टो एंबेसी द अमेरिकी इंस्टीट्यूट ताइवान के डिप्टी हेड रेमंड ग्रीन ने कहा कि जब वो दो वर्ष पहले ताइवान में काम करने आए थे तो वो सब कुछ ताइवान स्ट्रेट से संबंधित था और ताइवान अमेरिका-चीन संबंधों में भी पूरी तरह से फिट बैठता है, लेकिन बीते तीन वर्षों में काफी कुछ बदल गया है। इस दौरान पूरी आपसी संबंधों के अलावा दूसरे देशों की मदद करने और उनकी आर्थिक तरक्की पर ध्यान दिया गया।
उन्होंने कहा कि उन्हें अब इस बात का भी याद नहीं है कि कितनी बार ताइवान स्थित डायरेक्टर और हमारे बीच मीटिंग हुईं, लेकिन इतना जरूर याद है कि किसी भी मीटिंग में चीन का जिक्र तक भी नहीं आया था। ग्रीन अगले सप्ताह ताइवान से जापान जाएंगे। ग्रीन ने कहा कि ये मूलभूत बदलाव इस दौरान अमेरिका और ताइवान के संबंधों में आया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका ताइवान को चीन के साथ संबंधों के बीच किसी समस्या की तरफ नहीं देखता है। अमेरिका ताइवान को एक मौके के रूप में देखता और सभी के लिए इंडो-पैसिफिक को पूरी तरह मुक्त तौर पर देखता है। उन्होंने ये भी कहा कि हाल के कुछ समय में चीन की आमद ताइवान को लेकर काफी बढ़ी है। चीन इस तरह के हर प्रयास कर रहा है कि ताइवान उसकी सत्ता को स्वीकार करे और ये मान ले कि वो उसका ही हिस्सा है। इसके लिए उसने ताइवान को धमकाने के लिए अपने फाइटर जेट और बम वर्षक विमान तक भेजे हैं। हालांकि, ताइवान के अधिकतर लोग चीन की सत्ता को नकारने और स्वतंत्र देश के रूप में खुद को स्थापित करने में एकराय रखते हैं