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अमेरिका मिड टर्म चुनाव : भारत से लेकर अमेरिका तक इन भारतीयों पर है सभी की निगाह

अमेरिका में प्रवासियों को लेकर तनातनी चरम पर है, वहीं इन चुनावों में भारतीय मूल के करीब 100 अमेरिकी दांव लगा रहे हैं।

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 12:12 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 12:24 PM (IST)
अमेरिका मिड टर्म चुनाव : भारत से लेकर अमेरिका तक इन भारतीयों पर है सभी की निगाह
अमेरिका मिड टर्म चुनाव : भारत से लेकर अमेरिका तक इन भारतीयों पर है सभी की निगाह

वाशिंगटन, प्रेट्र। तमाम मुद्दों के बीच इस बार अमेरिका के मिड-टर्म चुनाव कुछ अलग वजह से भी चर्चा में हैं। यह वजह है भारतीय समुदाय की बढ़ती दावेदारी। मिड-टर्म चुनावों के लिए मंगलवार को मतदान होना है, जिसमें प्रतिनिधि सभा और सीनेट से प्रांतीय विधायिकाओं तक कई सीटों पर भारतवंशियों की दावेदारी मजबूत लग रही है। जहां अमेरिका में प्रवासियों को लेकर तनातनी चरम पर है, वहीं इन चुनावों में भारतीय मूल के करीब 100 अमेरिकी दांव लगा रहे हैं।

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अमेरिका की आबादी में बमुश्किल एक फीसद हिस्सेदारी वाले भारतीय समुदाय की इतनी बड़ी दावेदारी को इस वर्ग की बढ़ती महत्वाकांक्षा का प्रतीक माना जा रहा है। भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा, ‘अमेरिका की राजनीति में भारतीय-अमेरिकियों की संख्या बढ़ते देखना अद्भुत है।’ राष्ट्रपति के कार्यकाल के बीच में होने के कारण इन चुनावों को मिड-टर्म कहा जाता है। इनके नतीजों से राष्ट्रपति की सत्ता पर सीधा असर नहीं पड़ता लेकिन प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स) और सीनेट में पार्टी की सीटें बहुमत से कम हो जाने की स्थिति में राष्ट्रपति को फैसले लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

‘समोसा कॉकस’ पर रहेगी निगाह
अमेरिकी संसद में इस समय पांच भारतवंशी हैं। इनमें एमी बेरा, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल प्रतिनिधि सभा तथा कमला हैरिस सीनेट सदस्य हैं। इस समूह को ‘समोसा कॉकस’ कहा जाता है। सालभर पहले राजा कृष्णमूर्ति ने एक कार्यक्रम में इस समूह के लिए ‘समोसा कॉकस’ शब्द का इस्तेमाल किया था। इस कॉकस में से एमी बेरा तीन बार चुनाव जीतकर चौथी बार मैदान में हैं। वहीं रो खन्ना, कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल दूसरी बार ताल ठोक रहे हैं। जानकारों का कहना है कि चारों भारतीय इस बार भी आसानी से चुनाव जीत जाएंगे।

कुछ और बड़े दावेदार
इन चारों के अलावा सात और भारतवंशी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में चुनकर आने के लिए मैदान में हैं। इनमें हिरल टिपिरनेनी, प्रिस्टन कुलकर्णी और आफताब पुरेवल का दावा मजबूत माना जा रहा है। इनके अलावा सफल उद्यमी शिव अय्यदुरई सीनेट के लिए लड़ रहे हैं। निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे अय्यदुरई का मुकाबला डेमोक्रेट एलिजाबेथ वॉरेन से है। इन सबके अतिरिक्त अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, प्रांतीय व स्थानीय स्तर पर चुनाव मैदान में करीब 100 भारतीय-अमेरिकी किस्मत आजमा रहे हैं।

कई नए चेहरों की उम्मीद
एरिजोना से लेकर टेक्सास, ओहायो, मिशिगन और अन्य क्षेत्रों में भारतवंशियों के लिए प्रचार कर चुके रिचर्ड वर्मा का कहना है कि इस बार प्रतिनिधि सभा और प्रांतीय विधायिकाओं में कई नए भारतीय चेहरे दिख सकते हैं।

दो करोड़ लोग कर चुके हैं मतदान
चुनाव की तारीख से पहले ही दो करोड़ से ज्यादा लोग अपने मत का प्रयोग कर चुके हैं। समाचार चैनल सीएनएन ने चुनाव से पहले मतों की गिनती की जिम्मेदारी संभालने वाली डाटा फर्म कैटलिस्ट के हवाले से यह जानकारी दी है। इसके मुताबिक एरिजोना, फ्लोरिडा, नेवादा, जॉर्जिया, टेक्सास, टेनेसी और मोंटाना में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है।

अमेरिका में ज्यादा से ज्यादा लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अर्ली वोटिंग यानी मतदान की तारीख से पहले ही मत डालने की सुविधा दी गई है। अलग-अलग राज्यों में इसकी अलग-अलग व्यवस्था है। कुछ राज्यों में वजह बताते हुए पहले मतदान किया जा सकता है, वहीं कुछ राज्य बिना वजह पूछे ही पहले मतदान की सुविधा दे देते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जॉर्जिया में करीब 13 लाख लोग वोट डाल चुके हैं, जबकि टेक्सास में 20 लाख लोगों ने अब तक वोट डाला है। मोंटाना में 2,20,000 लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं। पहले पड़ने वाले मतों के आधार पर आगे चल रहे उम्मीदवारों का भी अनुमान लगता है। हालांकि कई बार अंतिम नतीजा इससे इतर निकलता है।


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