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America-Iran में तनाव बरकरार, Iran बोला 2015 के परमाणु समझौते की पाबंदियों का पालन नहीं करेगा

ईरान की ओर से यह बड़ी प्रतिक्रिया तब आई है जब हाल ही में बगदाद में अमरीकी एयरस्ट्राइक में जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो चुकी है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 05:10 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 07:02 AM (IST)
America-Iran में तनाव बरकरार, Iran बोला 2015 के परमाणु समझौते की पाबंदियों का पालन नहीं करेगा
America-Iran में तनाव बरकरार, Iran बोला 2015 के परमाणु समझौते की पाबंदियों का पालन नहीं करेगा

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमरीका के साथ बढ़ते तनाव के बाद अब ईरान ने खुलेतौर पर ये घोषणा कर दी है कि वो साल 2015 के परमाणु समझौते के तहत लागू की गई किसी भी पाबंदी को नहीं मानेगा। तेहरान में ईरानी मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह बयान आया है। ईरान की ओर से यह बड़ी प्रतिक्रिया तब आई है जब हाल ही में बगदाद में अमरीकी एयरस्ट्राइक में जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो चुकी है।

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मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ये कहा गया कि अब वो परमाणु संवर्धन के लिए अपनी क्षमता, उसका स्तर, उसको समृद्ध करने के लिए अन्य सामग्री का भंडार करने, अनुसंधान या उसको विकसित करने की किसी भी पाबंदी का पालन नहीं करेगा। अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 2018 में इस समझौते को रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वो ईरान से नया समझौता करना चाहते हैं जो उसके परमाणु कार्यक्रम और बैलिस्टिक मिसाइल के विकास पर अनिश्चितकालीन रोक लगाएगा। ईरान ने यह करने से इनकार कर दिया था और इसके बाद समझौते के तहत किए गए अपने वादों से वो पीछे हटने लगा था।

परमाणु समझौता क्या है?

ईरान ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है लेकिन संदेह ये था कि ये परमाणु बम विकसित करने का कार्यक्रम था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अमरीका और यूरोपीय संघ ने 2010 में ईरान पर पाबंदी लगा दी। वर्ष 2015 में ईरान का 6 देशों के साथ एक समझौता हुआ, ये देश अमरीका, ब्रिटेन, फ़्रांस, चीन, रूस और जर्मनी थे। इस समझौते के तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित किया, बदले में उसे पाबंदी से राहत मिली थी।

इस समझौते के तहत ईरान को यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम रोकना पड़ा। ये रिएक्टर ईंधन बनाने के लिए इस्तेमाल होता है और इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में भी होता है। 2015 के समझौते के अनुसार, ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को आने की अनुमति दी थी, इसके बदले में ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को खत्म किया गया था।

क्यों टूट गया ये समझौता?

सबसे पहले मई 2018 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने समझौते को रद्द करते हुए प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप चाहते थे कि ईरान के साथ नया समझौता हो, जिसमें ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय संघर्ष में उसकी भागीदारी रोकने की बात हो। ईरान ने इससे इनकार किया लेकिन इससे ईरान की मुद्रा स्फीति बढ़ गई और उसकी मुद्रा में गिरावट आई। मई 2019 में जब प्रतिबंधों को कड़ा किया गया तो ईरान ने भी समझौते में किए गए वादों से मुकरना शुरू कर दिया। ट्रंप के शासनकाल में ईरान और अमरीका के बीच रिश्तों में दरार बढ़ गई। जनवरी 2020 में ये समझौता पूरी तरह टूट गया।

अब अमरीका ने ईरान के शीर्ष सैनिक कमांडर कासिम सुलेमानी को बगदाद हवाई अड्डे के बाहर हवाई हमले में मार दिया, इसके दो दिन बाद 5 जनवरी को ईरान ने परमाणु समझौते से अपने को पूरी तरह अलग कर लिया। ईरान ने घोषणा की है कि अब वो समझौते में लगाई गई किसी भी पाबंदी को नहीं मानेगा, इसमें यूरेनियम संवर्धन को कम करना भी शामिल है।  


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