अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और विशेष दल ने जनवरी में ही कर दिया था रूसी साजिश का भंडाफोड़
अब पता चला है कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और विशेष अभियान दलों ने इस रूसी साजिश के बारे में जनवरी 2020 के शुरू में ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सतर्क कर दिया था।
नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए तालिबान के आतंकियों को इनाम देने के मामले में एक नई जानकारी सामने आ रही है। अब पता चला है कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और विशेष अभियान दलों ने इस रूसी साजिश के बारे में जनवरी 2020 के शुरू में ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सतर्क कर दिया था मगर उनकी ओर से इस बारे में कोई विशेष पहल नहीं की गई।
खुफिया अधिकारियों को एक खास सूचना मिली थी, उस सूचना पर काम करते हुए अधिकारियों ने तालिबान की चौकी पर एक छापेमारी की, उनको वहां से बड़ी मात्रा में अमेरिकी नकदी मिली जिससे इस बात का संदेह पैदा हुआ कि सैनिकों को मारने के लिए इन आतंकियों को पैसे दिए गए। पकड़े गए आतंकियों से जब खुफिया अधिकारियों ने पूछताछ की तो उन्होंने इस बात का खुलासा भी किया।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पकड़े गए उग्रवादियों और अपराधियों से जब पूछताछ की गई तो खुफिया अधिकारियों को ये भी पता चला कि रूसियों की ओर से साल 2019 में इन आतंकियों को इस तरह से इनामों की पेशकश की गई उसके बाद उनको भुगतान किया गया। इस सूचना के बाद से सैन्य और खुफिया अधिकारी पिछले 18 महीनों में अमेरिका और अन्य गठबंधन का मुकाबला करने वाले हताहतों की समीक्षा कर रहे हैं ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि इनमें से कितने लोग रूस की उस साजिश का शिकार हुए हैं।
2020 की शुरुआत में चार अमेरिकी युद्ध में मारे गए थे लेकिन अफगानिस्तान में लंबे समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए फरवरी के बाद हुए समझौते के बाद से तालिबानियों ने अमेरिकी सैनिकों पर हमला नहीं किया है।
दरअसल रविवार को अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस मामले में रूस के खिलाफ कोई कार्रवाई न किए जाने पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दोषी ठहराया है। जबकि व्हाइट हाउस की ओर से इस बात से ही इनकार किया गया कि कई माह पहले ही खुफिया अधिकारियों ने ट्रंप को इसके बारे में कोई जानकारी दी थी कि रूस तालिबानी आतंकियों से अमेरिकी सैनिकों को मारने पर इनाम देने की बात कह रहा है।
अधिकारियों ने इस मामले पर जानकारी देते हुए द न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुक्रवार को बताया कि एक रूसी सैन्य खुफिया इकाई ने गुप्त रूप से तालिबान से जुड़े आतंकवादियों को अमेरिका सहित अफगानिस्तान में गठबंधन सैनिकों को निशाना बनाने के लिए भुगतान किया था। ट्रंप को इसके बारे में जानकारी दी गई थी।
टाइम्स के लेख में यह भी बताया गया है कि व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने मार्च के अंत में एक इंटरजेंसी मीटिंग (अंतर-बैठक) में समस्या पर चर्चा की थी लेकिन अभी तक उस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने उसे शर्मनाक बताया।
व्हाइट हाउस कथित खुफिया या आंतरिक विचार-विमर्श पर नियमित रूप से टिप्पणी नहीं करता है। इंटेलीजेंस एजेंसी, सीआईए निदेशक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और कर्मचारियों के प्रमुख सभी पुष्टि करते हैं कि इस बारे में न तो राष्ट्रपति और न ही उप राष्ट्रपति को इस रूसी इनाम की खुफिया जानकारी दी गई थी।
व्हाइट हाउस की ओर से भी इस बारे में एक बयान तब जारी किया गया जब टाइम्स की वेबसाइट पर इस संबंध में खबर 25 घंटे पहले चलाई जा चुकी थी। प्रेस सचिव कायले मैकनी ने इस बारे में शानिवार दोपहर बयान जारी किया था। शनिवार रात राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने एक बयान जारी कर व्हाइट हाउस के इस दावे को सच साबित किया, उन्होंने कहा कि इस तरह की खुफिया जानकारी ट्रंप को नहीं दी गई थी।
अमेरिकी और अन्य नाटो सैनिकों की हत्या को प्रोत्साहित करने के लिए यदि रूस की ओर से समर्थन किया गया है तो ये अपने आप में चिंता की बात है। इस तरह की चीजें पता चलने से रूस के प्रति सैनिकों के मन में गुस्सा आएगा। वैसे ये पहली बार होगा जब रूसी जासूस इकाई ने पश्चिमी सैनिकों पर हमला किए जाने के लिए इस तरह की रणनीति अपनाई है।
इस तरह की जानकारी सामने आने के बाद अमेरिका का कहना है कि यदि तालिबान के साथ ऐसे किसी हमले से उनके सैनिकों की मौतें हुईं है तो रूस के खिलाफ युद्ध का एक बड़ा विस्तार भी होगा। अशांति फैलाने के लिए साइबर हमले किए जाएंगे, विरोधियों को अस्थिर करने की रणनीति अपनाई जाएगी।