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म्‍यांमार के सैन्‍य शासन पर अमेरिका हुआ सख्‍त, व्‍यापार पर रोक और दो कंपनियों को किया ब्‍लैक लिस्‍ट

म्‍यांमार पर अमेरिका ने सख्‍त रुख अपनाते हुए उसकी दो कंपनियों को ब्‍लैक लिस्‍ट कर दिया है। इसके अलावा म्‍यांमार से एक्‍सपोर्ट और इंपोर्ट पर भी रोक लगा दी गई है। बुधवार को हुई घटना के बाद अमेरिका ने ये कार्रवाई की है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 08:04 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 10:05 PM (IST)
म्‍यांमार के सैन्‍य शासन पर अमेरिका हुआ सख्‍त, व्‍यापार पर रोक और दो कंपनियों को किया ब्‍लैक लिस्‍ट
अमेरिका ने म्‍यांमार में बढ़ाया प्रतिबंधों का दायरा

वाशिंगटन (एएनआई)। म्‍यांमार की सैन्‍य सरकार पर कड़ा रुख अपनाते हुए अमेरिका ने उसके म्‍यांमार इकनॉमिक कॉरपोरेशन और म्‍यांमार इकनॉमिक होल्डिंग पब्लिक कंपनी को व्‍यापार के लिए ब्‍लैक लिस्‍ट कर दिया है। यूएस कॉमर्स डिपार्टमेंट ने इसके अलावा म्‍यांमार के रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय को भी इसमें शामिल किया है। अमेरिका ने ये फैसला वहां पर लोकतांत्रिक सत्‍ता की बहाली की मांग करने वालों सख्‍ती दिखाने, गोली चलाने की घटना के बाद लिया है। आपको बता दें कि बुधवार को वहां पर हुए प्रदर्शन में 38 लोगों की मौत हो गई थी। सेना ने प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इसी तरह की घटना गुरुवार को भी कुछ जगहों पर हुई है।

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अमेरिका की तरफ से जो प्रतिबंध लगाए गए हैं उनमें ब्‍यूरो ऑफ इंडस्‍ट्री एंड सिक्‍योरिटी (बीआईएस) ने म्‍यांमार की मिलिट्री और सिक्‍योरिटी सर्विस को वहां पर सेना द्वारा किए गए तख्‍तापलट में भागीदार माना है। अमेरिका ने अपने ताजा फैसले में म्‍यांमार से होने वाले एक्‍सपोर्ट और इंपोर्ट पर भी रोक लगा दी है। अमेरिका ने एक बार फिर से सेना द्वारा तख्‍तापलट की कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा है कि वो लोकतंत्र का सम्‍मान करते हुए म्‍यांमार की चुनी हुई सूकी की सरकार को दोबारा बहाल करे।

आपको बता दें कि अमेरिका समेत संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने बुधवार की घटना को खूनी दिन कहकर संबोधित किया था। इसी तरह से संयुक्‍त राष्‍ट्र की विशेष दूत क्रिस्‍टीना बर्गेनर ने भी इसको खूनी दिन बताते हुए कहा कि ये सबसे अधिक दुखद घटना है। म्‍यांमार में तख्‍ता पलट के बाद क्रिस्‍टीना ने म्‍यांमार के डिप्‍टी मिलिट्री चीफ से बात भी की थी। हालांकि उन्‍हें अपने बात का सही जवाब नहीं मिला। उन्होंने डिप्‍टी मिलिट्री चीफ सोविन को आगाह किया था कि यदि सेना लोगों के साथ इसी तरह से पेश आती रही तो उनके खिलाफ सख्‍त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, तो सो विन का कहना था कि वो इस तरह के प्रतिबंधों के अब आदी हो चुके हैं अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्‍होंने ये भी कहा कि म्‍यांमार अब अपने कुछ साथियों के साथ चलना सीख रहा है और वो इसमें कामयाब भी होंगे।

गौरतलब है कि नवंबर 2020 में हुए चुनाव में आंग सांग सू की कि पार्टी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद सू की दोबारा देश की सत्‍ता पर काबिज हुई थीं। लेकिन 1 फरवरी को तातमदेव (म्‍यांमार की सेना काआधिकारिक नाम) के प्रमुख जनरल ने सरकार का तख्‍तापलट कर शासन अपने हाथों में ले लिया था और सरकार से जुड़े सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया था। तख्‍तापलट के दो दिन बाद जनरल ने दोबारा स्‍टेट काउंसिल का गठन किया जिसमें सैना के वरिष्‍ठ अधिकारियों को शामिल किया गया था। तख्‍तापलट के बाद से ही पूरी दुनिया और वैश्विक संगठन यहां पर लोकतंत्र बहाली की मांग कर रहे हैं। अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन ने म्‍यांमार की सरकार के खिलाफ प्रतिबंधों का भी एलान किया है। इतना ही नहीं म्‍यांमार की यूनिवर्सिटी से जुड़े नेताओं ने चीन के प्रमुख शी चिनफिंग को हस्‍तक्षेप करलोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था बहाल करने की मांग तक की है।


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