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रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने जताई चिंता, बोले- रूस और चीन से अमेरिका को खतरा

नई रणनीति में ट्रंप प्रशासन ने रूस और चुनौती का सामना करने के साथ-साथ उत्तर कोरिया से निपटने में मास्को और बीजिंग के साथ संबंध सुधारने पर भी जोर दिया।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 20 Jan 2018 07:02 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jan 2018 07:02 PM (IST)
रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने जताई चिंता, बोले- रूस और चीन से अमेरिका को खतरा
रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने जताई चिंता, बोले- रूस और चीन से अमेरिका को खतरा

वाशिंगटन, रायटर/आइएएनएस। अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने अमेरिका को चीन और रूस से खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद नहीं, बल्कि बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा पर अब अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा का मुख्य फोकस है। मैटिस ने शुक्रवार को नई राष्ट्रीय रक्षा रणनीति जारी करते हुए यह बात कही।

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उन्होंने कहा कि हम चीन और रूस के रूप में अलग-अलग संशोधनवादी शक्तियों से बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं। वे अपनी सत्तावादी मॉडल के साथ दुनिया का निर्माण करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'हम आतंकियों के खिलाफ अभियान जारी रखेंगे। लेकिन आतंकवाद नहीं, बल्कि बड़ी शक्तियों की प्रतिस्पर्धा पर हमारा मुख्य ध्यान केंद्रित होगा।'

नई रणनीति में ट्रंप प्रशासन ने रूस और चुनौती का सामना करने के साथ-साथ उत्तर कोरिया से निपटने में मास्को और बीजिंग के साथ संबंध सुधारने पर भी जोर दिया। उत्तर कोरिया का सामना करने के लिए अमेरिका की मिसाइल रक्षा पर ध्यान देने की जरूरत बताई गई है। अंतरराष्ट्रीय गठबंधन को अमेरिकी सेना के लिए महत्वपूर्ण बताया है। मैटिस ने कहा कि अमेरिका अपने परंपरागत गठबंधन को मजबूत करेगा।

मैटिस ने अमेरिकी कांग्रेस से सेना के लिए पर्याप्त फंड देने और अमेरिका के संघीय बजट में सेना के फंड में अंधाधुंध और स्वत: कटौती से बचने की भी अपील की। ट्रंप इस साल के लिए प्रस्तावित बजट में रक्षा खर्च 10 फीसद बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अपर्याप्त फंडिंग की वजह से युद्ध के हर क्षेत्र में अमेरिकी सेना की धार कुंद हो रही है। गौरतलब है कि अमेरिका सेना पर प्रति वर्ष 587.8 अरब डॉलर खर्च करता है, जबकि चीन 161.7 अरब डॉलर और रूस 44.6 अरब डॉलर खर्च करता है।

 

रूस व चीन की प्रतिक्रिया
रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका टकरावपूर्ण दृष्टिकोण अपना रहा है। दुख की बात है कि सामान्य बातचीत और अंतरराष्ट्रीय कानून की मूल बात का प्रयोग करने की जगह अमेरिका ऐसी टकराव वाली रणनीति और सोच से अपना नेतृत्व साबित करना चाहता है। अमेरिका में चीन के दूतावास ने कहा कि चीन वैश्विक साझेदारी चाहता है, वैश्विक प्रभुत्व नहीं।


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