WHO से अमेरिका का बाहर निकलना कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारी नुकसान: हार्वर्ड विशेषज्ञ
हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के निदेशक ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ से बाहर निकलने से अमेरिका को भी नुकसान हो रहा है।
वाशिंगटन, आईएएनएस। हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के निदेशक आशीष के झा ने सीनेट समिति के सामने विदेशी संबंधों पर बयान देते हुए कहा है कि अमेरिका का विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकलना कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारी नुकसान है। झा के कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि अमेरिका का डब्ल्यूएचओ को छोड़ने के निर्णय से सिर्फ दुनिया के बाकी देशों को ही नुकसान नहीं पहुंच रहा है, इससे अमेरिका को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस महत्वपूर्ण क्षण में डब्ल्यूएचओ के साथ संबंध समाप्त करके अमेरिका ने खुद को इस वायरस के सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों से दूर कर लिया है। झा ने कहा कि डब्ल्यूएचओ छोड़ने से अमेरिका को कोरोना वायरस के प्रमुख अनुसंधान और विकास से भी अलग किया गया है। यह स्पष्ट है कि डब्ल्यूएचओ के साथ अमेरिका के संबंधों में कटौती करने से डब्ल्यूएचओ की क्षमता को नुकसान पहुंचा है।
दुनिया भर के देशों के वैज्ञानिक डब्ल्यूएचओ के साथ नमूनों को साझा कर रहा है। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण विश्व स्वास्थ्य संगठन का सॉलिडेटरी ट्रायल है, जहां कोरोना वायरस के वैक्सीन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया का सबसे बड़ा क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है।
झा ने कहा कि डब्ल्यूएचओ का कोई विकल्प नहीं है। 194 सदस्यों से बनी एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के रूप में इसकी अपना महत्व है। उन्होंने जोर दिया कि कोरोना महामारी अभी भी तेजी से फैल रही है और इसके रोज रिकॉर्ड नए मामले साने आ रहे हैं। इसके अलावा दुनिय दुनिया के अधिकांश हिस्सों में महामारी अभी भी अपने शुरुआती चरण में है।
झा ने कहा कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ के वित्त पोषण का लगभग 15 प्रतिशत प्रदान करता है और डब्ल्यूएचओ के अनुसंधान और विकास के लिए सहयोग केंद्रों का 10 प्रतिशत अमेरिका में होस्ट किया जाता है। उन्होंने कहा कि रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए यूएस सेंटर ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सुविधाजनक बनाने और कर्मचारियों और संसाधनों की तैनाती का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।