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US Elections 2020: डेमोक्रेटिक पार्टी के सीईओ का पद छोड़ेंगी भारतीय मूल की सीमा नंदा

US Elections 2020 भारतीय मूल की अमेरिकी वकील सीमा नंदा ने मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रीय समिति के सीईओ का पद छोड़ने का एलान किया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 26 Apr 2020 08:43 AM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2020 08:43 AM (IST)
US Elections 2020: डेमोक्रेटिक पार्टी के सीईओ का पद छोड़ेंगी भारतीय मूल की सीमा नंदा
US Elections 2020: डेमोक्रेटिक पार्टी के सीईओ का पद छोड़ेंगी भारतीय मूल की सीमा नंदा

वाशिंगटन, प्रेट्र। भारतीय मूल की अमेरिकी वकील सीमा नंदा ने मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रीय समिति के सीईओ का पद छोड़ने का एलान किया है। हालांकि उन्होंने पद छोड़ने का कोई कारण नहीं बताया है। नवंबर 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी में हुए इस परिवर्तन को अहम माना जा रहा है।

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48 वर्षीय सीमा नंदा जून 2018 में इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय मूल की अमेरिकी थीं। नंदा के पिता दंत चिकित्सक थे और उनका पालन-पोषण कनेक्टिकट में हुआ है। ब्राउन यूनिवर्सिटी और बोस्टन कॉलेज लॉ स्कूल से पढ़ाई करने वाली नंदा ने कानून विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग में काम किया है।

वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, नंदा के पद छोड़ने को पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन के राष्ट्रपति अभियान को गति देने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। बिडेन डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार हैं।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से हटे बर्नी सैंडर्स

अमेरिका में वामपंथी अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने बुधवार को राष्‍ट्रपति चुनाव की दौड़ से खुद को अलग कर लिया। इस घटनाक्रम ने राष्‍ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने की जो बिडेन की राह आसान कर दी है। बर्नी सैंडर्स के मैदान छोड़ने के बाद अब नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बिडेन का मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सीधी टक्‍कर लगभग तय मानी जा रही है। 

पहले से ही माना जा रहा था कि राष्ट्रपति उम्मीदवारी पाने की दौड़ में सैंडर्स ज्यादा आगे नहीं जाएंगे, क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव में वह बिडेन के मुकाबले लगातार पिछड़ते जा रहे थे। शुरुआती दौर में डेमोक्रेटिक पार्टी से उम्मीदवार बनने की होड़ में भारतीय मूल की सांसद कमला हैरिस और तुलसी गबार्ड समेत 20 से ज्यादा दावेदार थे। लेकिन राज्यों के प्राइमरी चुनाव में पिछड़ने पर एक-एक कर सभी हटते गए और बाद में मुकाबला सिर्फ सैंडर्स और बिडेन के बीच सिमट गया था। 


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