अमेरिकी चुनाव के बारे में यहां जानें कुछ खास बातें, 3 नवंबर को होना है राष्ट्रपति के लिए मतदान
अमेरिकी चुनाव के कुछ बेहद दिलचस्प पहलू हैं जिनको जानना हमारे लिए भी बेहद जरूरी है। यहां पर 3 नवंबर को मतदान होना है। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी पूरे जोर-शोर के साथ मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
वाशिंगटन। कोरोना काल में अमेरिका में हो रहे मतदान में इस बार रिकॉर्ड वोटिंग हो रही है। 3 नवंबर के बाद सामने आने वाले परिणाम वहां के नए राष्ट्रपति का खुलासा भी कर देंगे। लेकिन फिलहाल यही सवाल सबसे अहम है कि कौन इसमें जीत दर्ज करेगा, ट्रंप या बिडेन। अब ये भी साफ हो गया है आने वाला कुछ समय पूरी दुनिया को कोविड-19 के साथ ही गुजारना होगा। इस चुनाव में पोस्टल वोटिंग को लेकर भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी सामने आई थी। उनका कहना था कि इसमें गड़बड़ी के चांसेज ज्यादा होते हैं। आपको ये भी बता दें कि अमेरिका के संविधान में चुनाव की तारीखों को लेकर कहीं कुछ नहीं कहा गया है लेकिन इसमें राष्ट्रपति के शपथ और पद के ग्रहण करने के बारे में जरूर निश्चित समय दे रखा है। अमेरिका में चुनाव के बाद जो भी राष्ट्रपति बनेगा वो जनवरी में शपथ लेगा।
कुछ खास बातें
- अमेरिकी चुनाव को लेकर कुछ जरूरी और दिलचस्प बातें हैं जो आपको ध्यान में रखनी भी जरूरी हैं। जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में पहले सोमवार को ही होता है। इसमें अमेरिकी नागरिक इलेक्टर का चुनाव करते हैं जो अमेरिका में खड़े होने वाले राष्ट्रपति के प्रत्याशी का समर्थन करते हैं। इसको वहां पर इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है।
- जिस राज्य में जितने ज्यादा इलेक्टर्स चुने जाते हैं वही राज्य आखिर में राष्ट्रपति को चुनने में अहम भूमिका भी निभाते हैं। जैसे केलीफॉर्निया की जनसंख्या करीब करीब चार करोड़ और डेलवेयर की जनसंख्या 936,000 है।
- अमेरिका में मौजूदा समय में 538 इलेक्टर्स हैं। इनमें 435 रिप्रजेंटेटिव और 100 सीनेटर हैं। इसके अलावा 3 अतिरिक्त सदस्य हैं जिन्हें कोलंबिया से चुना जाता है। जो भी इलेक्टर्स जीत हासिल करता है उसको इलेक्टोरल कॉलेज भी सभी वोट हासिल होते हैं।
कैसे काम करता है इलेक्टोरल कॉलेज
- अमेरिका के सभी 50 राज्य और वाशिंगटन डीसी में राज्य के हिसाब से इलेर्क्स की संख्या निर्धारित है। हर राज्य में कम से कम तीन इलेक्टोरल वोट आते हैं जो सीनेटर की कुल संख्या के बराबर होते हैं। वाशिंगटन डीसी में तीन इलेक्टोरल कॉलेज हैं। केलीफॉर्निया अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है जहां पर 55 इलेक्टोरल वोट हैं। इस तरह से टेक्सास दूसरे नंबर पर आता हैं जहां पर 38 इलेक्टोरल कॉलेज हैं। इसके बाद न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में 29-29 इलेक्टोरल कॉलेज हैं।
- अमेरिकी चुनाव में खड़ा कोई भी प्रत्याशी यदि किसी राज्य में ज्यादा वोट हासिल करता है तो उसको सभी इलेक्टोरल कॉलेज के वोट भी हासिल होते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी प्रत्याशी को 270 वोटों की दरकार होती है।
- आमतौर पर अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम यहां के पॉपुलर वोट पर कोई फर्क नहीं डालते हैं। वर्ष 2016 में डोनाल्ड ट्रंप को जहां इलेक्टोरल कॉलेज के वोट अधिक मिले थे वहीं उनकी प्रतिद्वंदी हिलेरी क्लिंटन को अधिक पॉपुलर वोट मिले थे। इसके बाद ट्रंप राष्ट्रपति बने थे।
- अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए खड़ा होने वाला कोई भी प्रत्याशी का कम से कम 35 वर्ष की आयु का होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा उसका जन्म भी अमेरिका में ही होना चाहिए और वो कम से कम 14 वर्षों से अमेरिका में ही रह रहा है।
- अमेरिका में यूं तो कोई भी एक व्यक्ति केवल दो ही बार राष्ट्रपति बन सकता है लेकिन इस मामले में फ्रेंकलिन रूजवेल्ट एक अपवाद हैं। वो लगातार तीन बार राष्ट्रपति बने थे और उनका निधन भी पद पर रहते हुए ही हुआ था।
- डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी अपने अपने प्रत्याशियों को गर्मियों में होने वाले कंवेंशन में तय कर लेती हैं।
- 3 नवंबर को होने वाले मतदान में तकनीकी तौर पर इलेक्टर्स का ही चुनाव किया जाएगा। ये इलेक्टर्स स्टेट के अधिकारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता होते हैं। लेकिन इनका नाम बेलेट पेपर पर आमतौर पर नहीं होता है। हर इलेक्टर्स दो वोट डालता है जिसमें वह अपनी पसंद के राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति को चुनता है। जनवरी में यही सत्ता संभालते हैं।
- अमेरिका के कुछ ऐसे राज्य हैं जो अमेरिका के चुनाव में बड़ी अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें नॉर्थ कैरोलिना, फ्लोरिडा, मिशीगन, विस्कोंसिन, एरिजोना का नाम शामिल है।
- जिन लोगों ने अब तक अपना वोट नहीं दिया है वो 3 नवंबर को अपना वोट डालेंगे। इसके बाद इनकी गिनती होने और परिणाम सामने आने में कुछ दिन का समय और लगेगा। मतदान का समय यहां के राज्यों के हिसाब से एक समान नहीं है। कुछ जगहों पर लाइन में लगे मतदाताओं को अंत तक मतदान का अवसर दिया जाएगा।
- मतदान ज्यादातर सुबह 6 बजे से शुरू होकर रात 9 बजे तक होता है। 9 बजे के बाद किसी को भी वोट डालने का अधिकार नहीं होगा और मतदान केंद्र को बंद कर दिया जाएगा।
- मतपेटियों के रिसीव होने को लेकर भी राज्यों को अलग अलग तारीखें दी गई हैं इसकी वजह से परिणाम में कुछ विलंब हो सकता है। केलीफॉर्निया को छोड़कर सभी राज्यों को अपने सर्टिफिकेशन का काम 8 दिसंबर तक पूरा करना होगा।
- 14 दिसंबर को इलेक्टर्स अपना वोट डालेंगे।
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