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अमेरिका ने लश्कर कमांडर अब्दुल रहमान को वैश्विक आतंकी घोषित किया

अमेरिका ने अब्दुल रहमान अल-दाखिल को वैश्विक आतंकी घोषित किया है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 09:04 AM (IST)
अमेरिका ने लश्कर कमांडर अब्दुल रहमान को वैश्विक आतंकी घोषित किया
अमेरिका ने लश्कर कमांडर अब्दुल रहमान को वैश्विक आतंकी घोषित किया

वाशिंगटन [प्रेट्र]। अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अब्दुल रहमान उल-दाखिल को वैश्विक आतंकी घोषित किया है। उसके साथ ही लश्कर को वित्तीय मदद देने वाले हमीद-उल हसन और अब्दुल जब्बार को भी इस सूची में रखा है।

गौरतलब है कि 1997 से लेकर वर्ष 2001 तक भारत के खिलाफ होने वाले हमलों का मुख्य संचालक रहा अब्दुल रहमान कुछ दिन पहले तक जम्मू क्षेत्र में आतंकी संगठन का संभागीय कमांडर था। वर्ष 2018 की शुरुआत में वह वरिष्ठ कमांडर बन गया। वर्ष 2004 में अब्दुल रहमान को इराक में अमेरिकी सेनाओं ने पकड़ा था। वर्ष 2014 में पाकिस्तान भेजने से पहले उसे इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा में रखा गया।
पाकिस्तान में रिहा होने के बाद दाखिल दोबारा लश्कर के लिए काम करने लगा।

अमेरिका के गृह मंत्रालय ने बताया कि अमेरिकी अधिकार क्षेत्र में आने वाली उसकी सभी तरह की संपत्तियों को जहां सील कर दिया गया है वहीं अमेरिकी नागरिकों से उसके साथ किसी प्रकार के आदान-प्रदान पर भी रोक लगा दी गई है। बता दें कि अमेरिकी गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2001 में लश्कर को विदेश आतंकी संगठन माना था। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने इसे वर्ष 2005 में अपनी प्रतिबंधित सूची में रखा था।

हमीद-उल-हसनहमीद-उल-हसन लश्कर के मोर्चा फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के लिए काम करता था। उसका काम धन एकत्र करके उसे सीरिया भेजना था। वर्ष 2016 की शुरुआत में हसन ने अपने भाइयों मुहम्मद एजाज सरफराज और खालिद वालिद के साथ लश्कर की तरफ से पाकिस्तान पैसा भेजना शुरू किया। हसन के ट्विटर अकाउंट के मुताबिक वह अपने आपको पाकिस्तान अधिग्रहीत कश्मीर में हाफिज सईद के जमात-उद-दावा का नेता बताता है। बता दें कि उसके दोनों भाई सरफराज और खालिद पहले ही वैश्विक आतंकी सूची में शामिल किए जा चुके हैं।

जब्बारजब्बार ने वर्ष 2000 से लश्कर के साथ काम करना शुरू किया। वह इस आतंकी संगठन के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराता था। वह आतंकी संगठनों को वेतन बांटता था। इसके अतिरिक्त वर्ष 2016 के मध्य से उसने फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन की तरफ से धन उपलब्ध कराना शुरू किया।

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