इराक से सैनिकों की वापसी पर अमेरिका का किसी तरह की वार्ता से इन्कार
अमेरिका ने शुक्रवार को इराक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के उस अनुरोध को ठुकरा दिया जिसमें इराकी धरती से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए वार्ता का अनुरोध किया गया था।
वाशिंगटन, एएफपी। अमेरिका ने शुक्रवार को इराक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें इराकी धरती से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए वार्ता का अनुरोध किया गया था। कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने वार्ता के लिए इराकी प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजने के लिए कार्यक्रम मांगा था। उल्लेखनीय है कि इराक में अमेरिका के 5,200 सैनिक हैं। इन सैनिकों को वापस भेजने का प्रस्ताव हाल ही में इराक की संसद ने पारित किया है।
कार्यवाहक पीएम का प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रस्ताव ठुकराया
अमेरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टगस ने कहा, इस समय फौज वापसी पर वार्ता के लिए किसी प्रतिनिधिमंडल का आना हमारे रणनीतिक सहयोग के लिए उचित नहीं होगा। मध्य-पूर्व में फिलहाल हमारे सैनिकों की जरूरत है। वहां पर आतंकी संगठन आइएस का विस्तार रोकने के लिए अमेरिकी सैनिकों की जरूरत है। हम अपने दोस्त और सहयोगी इराक को संप्रभु, समृद्ध और स्थिर रूप में देखना चाहते हैं।
इससे पहले इराक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अदेल अब्देल महदी ने हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो को फोन कर प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए समय मांगा था। इस प्रतिनिधिमंडल को अमेरिकी सैनिकों की इराक से सुरक्षित वापसी की रूपरेखा पर वार्ता करनी थी।
इराकी संसद ने पारित किया था अमेरिकी सैनिकों की वापसी का प्रस्ताव
सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका ने 2003 में इराक पर हमला किया था। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के आदेश पर अमेरिकी सैनिक लौट आए थे लेकिन 2014 में आतंकी संगठन आइएस से लड़ने के लिए एक बार फिर अमेरिकी सैनिक इराक आए और वे यहीं बने हुए हैं। लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इराक अमेरिका और ईरान के बीच के तनाव से प्रभावित हो रहा है।
पिछले हफ्ते बगदाद में ईरान के सबसे शक्तिशाली जनरल की अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। शिया बहुल इराक में मेजर जनरल कासिल सुलेमानी का खासा प्रभाव था। इसी के चलते इराकी संसद ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी का प्रस्ताव पारित किया है।
इराक में तैनात हैं पांच हजार अमेरिकी सैनिक
ज्ञात हो कि इराक में तैनात लगभग पांच हजार अमेरिकी सैनिक मुख्य रूप से स्थानीय सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण देने और सलाहकार की भूमिका निभाते हैं। अमेरिका और ईरान के बीच दशकों पुरानी दुश्मनी है। इसके बावजूद इराक में ईरान समर्थित मिलिशिया आइएस के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी सेना का साथ दे रहे थे, लेकिन ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद इराक में हालात बदल गए हैं। उनके विरोधी भी अमेरिकी कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि इस घटना से कहीं उनका देश युद्ध का अखाड़ा न बन जाए।