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VIDEO: इस भारतीय पत्रकार ने खोली कश्मीर पर अमेरिकी कांग्रेस की पोल, आतंकवाद पर PAK को घेरा

कश्मीर की भारतीय पत्रकार आरती टीकू सिंह ने मानवाधिकार के मसले पर अमेरिकी कांग्रेस की सुनवाई को भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के पक्ष में बताया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 01:10 PM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 01:55 PM (IST)
VIDEO: इस भारतीय पत्रकार ने खोली कश्मीर पर अमेरिकी कांग्रेस की पोल, आतंकवाद पर PAK को घेरा
VIDEO: इस भारतीय पत्रकार ने खोली कश्मीर पर अमेरिकी कांग्रेस की पोल, आतंकवाद पर PAK को घेरा

वाशिंगटन डी.सी., एएनआइ। कश्मीर की एक वरिष्ठ भारतीय पत्रकार आरती टीकू सिंह ने मानवाधिकार पर अमेरिकी कांग्रेस की सुनवाई को पक्षपातपूर्व, पूर्वाग्रह से ग्रसित, भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के पक्ष वाला बताया है। वॉशिंगटन में ह्यूमन राइट्स इन साउथ एशिया पर सुनवाई कर रही यूएस हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी में बोलते हुए आरती टीकू सिंह ने कश्मीर मुद्दे पर ना सिर्फ अमेरिका कांग्रेस बल्कि पाकिस्तान की भी बखिया उधेड़ दी।

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उन्होंने कहा, अमेरिकी कांग्रेस की ओर से यह सुनवाई पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण, भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के पक्ष में एक सेटअप थी। कांग्रेस की सुनवाई पूरी तरह से 15000 कश्मीरी मुस्लिम नागरिकों के खिलाफ थी जो असल में पाकिस्तान द्वारा मारे गए हैं। यह सुनवाई 3 लाख कश्मीरी पंडितों के खिलाफ एक पूर्वाग्रह थी, जो 1990 में कश्मीर से जातीय रूप से साफ हो गए थे। उन्होंने साथ ही कहा कि यह सुनवाई उन 700 से अधिक कश्मीरी पंडितों के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित थी, जो 1990 में कश्मीर में यहां काम करते थे।

पाकिस्तान को आतंक पर लताड़

कश्मीर की वरिष्ठ भारतीय पत्रकार आरती टीकू ने कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवाद को रेखांकित किया और साथ ही कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और दुनियाभर में मीडिया ने कश्मीर में 30 साल तक चले आतंक की पूरी तरह से अनदेखी की।अमेरिकी सदन की विदेश मामलों की समिति ने 'दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों' पर सुनवाई के दौरान बोलते हुए कहा, 'मैं जो एक मूल मुद्दा यहां उठाना चाहती हूं वो है कश्मीर पीड़ितों का मुद्दा जो पाकिस्तानी प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा मारे गए और मारे गए लोग हैं।कश्मीर में मारे गए कश्मीरी मुसलमानों की संख्या बहुत अधिक है और वे पाकिस्तानी आतंकी राज्य का शिकार हुए हैं।'

उन्होंने कहा, 'कश्मीर में 30 साल तक चले इस्लामिक जिहाद और आतंकवाद को दुनियाभार की मीडिया ने नजरअंदाज और अनदेखा किया।' सुनवाई के दौरान जोर देकर उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया में जो कुछ लिखा जा रहा है, वह कश्मीर की एक विकृत सच्चाई है और कहानी को अक्सर उचित संदर्भ और ऐतिहासिक समझ के बिना प्रस्तुत किया जाता है।


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