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चीन के खिलाफ भारत के समर्थन वाला रक्षा नीति बिल अमेरिकी संसद में हुआ पारित

भारतवंशी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के प्रस्ताव की भाषा के अहम अंशों को इस बिल में शामिल किया गया है। इंटरनेट मीडिया कंपनियों के खिलाफ कानून नहीं होने से ट्रंप ने इस विधेयक के खिलाफ वीटो की धमकी दी है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 11:55 AM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 12:15 PM (IST)
चीन के खिलाफ भारत के समर्थन वाला रक्षा नीति बिल अमेरिकी संसद में हुआ पारित
अमेरिका कांग्रेस ने पारित किया रक्षा नीति बिल। (फोटो: दैनिक जागरण)

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी संसद ने 740 अरब डॉलर का रक्षा नीति विधेयक आधिकारिक रूप से पारित कर दिया है। इसमें अन्य चीजों के अलावा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के खिलाफ चीनी आक्रामकता का विरोध किया गया है। भारत और चीन के बीच इस साल मई से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सैन्य गतिरोध बना हुआ है।

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दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता के बाद भी गतिरोध सुलझाने की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और सीनेट ने मंगलवार को राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (एनडीएए) पारित कर दिया। इसमें ना केवल भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के प्रस्ताव की भाषा के अहम अंशों को शामिल किया गया है बल्कि चीन सरकार से एलएसी के पास भारत के खिलाफ सैन्य आक्रामकता को खत्म करने का आग्रह किया गया है।

द्विदलीय संसदीय समिति ने विधेयक के प्रतिनिधि सभा और सीनेट के संस्करणों को इस महीने की शुरुआत में मिलाकर अंतिम विधेयक तैयार किया था। चीन की आक्रामकता के विरोध संबंधी प्रावधान को शामिल किया जाना हिंद-प्रशांत क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में भारत जैसे सहयोगियों के लिए अमेरिका के मजबूत समर्थन को दर्शाता है।

कृष्णमूर्ति के प्रस्ताव को दोनों सदनों में अभूतपूर्व द्विदलीय समर्थन के साथ पारित किया गया। यदि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस पर हस्ताक्षर कर देते हैं, तो यह कानून बन जाएगा। ट्रंप ने इस विधेयक के खिलाफ वीटो के इस्तेमाल की धमकी दी है, क्योंकि इसमें इंटरनेट मीडिया कंपनियों के लिए कानूनी संरक्षण को रद करने की बात नहीं की गई है।

हिंसक आक्रामकता किसी चीज का जवाब नहीं: कृष्णमूर्ति 

कृष्णमूर्ति ने कहा, 'हिंसक आक्रामकता किसी चीज का जवाब नहीं होती है और यह बात खासकर वास्तविक नियंत्रण रेखा के मामले में सही है, जो भारत से चीन को अलग करने वाला विवादित सीमा क्षेत्र है। उन्होंने कहा, 'एनडीएए में मेरे प्रस्ताव की भाषा शामिल कर और इस विधेयक को हस्ताक्षर के बाद कानून में बदलकर अमेरिका सरकार यह स्पष्ट संदेश देगी कि भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

चीन को राजनयिक तरीकों से कम करना चाहिए तनाव 

कृष्णमूर्ति ने कहा, अमेरिका राजनयिक माध्यमों से सीमा गतिरोध सुलझाने में भारत जैसे सहयोगियों के साथ खड़ा रहने के लिए प्रतिबद्ध है। एनडीएए में भारत के साथ लगती सीमा के पास चीन की जारी सैन्य आक्रामकता पर काफी चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि चीन को मौजूदा राजनयिक तंत्रों के जरिये एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना चाहिए और बल प्रयोग से विवाद सुलझाने की कोशिश से बचना चाहिए।


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