अमेरिका का चीन को झटका, संसद ने धोखेबाज चीनी कंपनियों को शेयर बाजार से बाहर करने का विधेयक पारित किया
अमेरिका ने चीन को जोर का झटका धीरे से दे दिया है। अमेरिकी संसद ने धोखेबाज चीनी कंपनियों को शेयर बाजार से प्रतिबंधित करने वाले विधेयक को पारित कर दिया है। इस कदम से माना जा रहा है कि चीन के साथ अमेरिका के रिश्ते आसानी से ठीक नहीं होंगे...
वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिका ने चीन के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है। अमेरिकी संसद (US Congress) ने ऐसा विधेयक पारित किया है जिसके तहत लगातार तीन वर्षों तक अपनी ऑडिट सूचनाएं बाजार नियामक को नहीं मुहैया करने वाली कंपनियां अमेरिकी शेयर बाजार से बाहर कर दी जाएंगी। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी संसद के इस कदम के बाद धोखेबाजी से सूचनाएं छिपाने में माहिर चीनी कंपनियों पर लगाम लगाई जा सकेगी और उनको अमेरिकी शेयर बाजारों से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
इस विधेयक का नाम द्विपक्षीय हिस्सेदारी विदेशी कंपनी जवाबदेही कानून (bipartisan Holding Foreign Companies Accountable Act) रखा गया है। माना जा रहा है कि यह कानून अमेरिकी निवेशकों और उनकी सेवानिवृत्ति की बचत को विदेशी कंपनियों से बचाने में मदद करेगा। खासकर उन कंपनियों को जो ओवर स्टॉकिंग करते हुए अमेरिकी शेयर बाजारों में शामिल हैं। अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने बुधवार को इस कानून पर मुहर लगाई।
इस कानून को ऊपरी सदन सीनेट ने पहले ही 20 मई को पारित कर चुका है। इसको अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। दस्तखत के बाद यह अमेरिकी कानूनों का हिस्सा होगा जिससे जानकारी छिपाने वाली चीनी कंपनियों पर लगाम लगेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, यह विधेयक उन कंपनियों को अमेरिकी शेयर बाजार में शामिल होने से रोकेगा जिन्होंने लगातार तीन वर्षों तक सार्वजनिक कंपनी लेखा निगरानी बोर्ड (Public Company Accounting Oversight Board, PCAOB) के ऑडिट नियमों का पालन नहीं किया है।
अमेरिका में इन नए कानून के आ जाने के बाद वहां कारोबार कर रही कंपनियों को यह बताना होगा कि क्या वे चीन की कम्युनिस्ट सरकार समेत किसी विदेशी सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में काम कर रही हैं। इस कानून के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अमेरिका में कारोबार करने वाली विदेशी कंपनियां भी उन लेखा नियमों का पालन करें जो अमेरिकी कंपनियों पर लागू होते हैं। इस कानून के अमल में आने के बाद अमेरिका में कारोबार कर रही उन कंपनियों पर गाज गिरेगी जो चीनी सरकार के तहत काम करती हैं...